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विवेच्य पूजा काव्य में देशी वियाओं के कतिपय रूप निम्नलिखित पाये
(१) जाम (१८ वीं शती) (१) चानत फल जानें प्रभू ।
(चानतराय, श्री पंचमेर पूजा) (२) बानत सेवक जानके।
(चानतराय, श्री बीस तीर्थ कर पूजा) (३) भूपर भासाल पहुं जानो।
(जानतराय, श्री पंचमेह पूजा) (१६ वी शती) (१) मुख दास अपनो जानिए।
(बस्तावररत्न, श्री अजितनाथ जिनपूजा) (२) चिन्ह मर्कट को उर जानके।
(बख्तावररत्न, श्री अभिनंदननाथ बिनयूना) (३) सुवर्ण नाम जानियो।
(असतावररत्न, श्री पुष्पदन्त जिनपूजा) (४) मात सुसोमा जानो।
(मखतावररत्न, श्रीपदमप्रभु जिनपूजा) (२० वीं शती) (१) वर्तमान जिनराय भरत के जानिये।
(जिनेश्वरवास, श्रीचन्द्र प्रमुपूजा) (२) हे चिन्ह शेर का ठीक जान ।
(पूरणमल, भी चांदनमांव महावीर स्वामी पूजा) (२) आना (१८ वीं शती) (१) माली सुनि मन खेद न आनो।
(बानसराय, श्री बालक्षण धर्मपूजा) (१६वीं शती) (२) सासु मन्ध पे मलिगण आवें।
(बस्तावररत्न, श्री शीतलनाथ जिनपूजा) (२० वो शती) (१) मिथ्या मल धोने आया हूँ।
(युगल, श्री देवशास्त्र, गुरुपूना) (३) देश (१८ वीं शती) (१) वेले नाथ परम सुख होष।।
(धानतराय, श्री पंचमेह पूजा) (१६वीं शती ) (१) अधि देख पर की।
(मलावररल, श्री अमिनमनाम जिनपूजा)