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________________ ( २५७ ) atan ('ute' का बहुवचन), दीनन निस्तारन, (श्री देवपूजा भाषा, व्यानतराय) दोवन ( दोष' का बहुवचन), सब दोषन मांही, (श्री देव पूजा भाषा, खानतराय) नयनन ('नयन' का बहुवचन), नयनन सुलकारी, (श्री बीस तीर्थ कर पूजा भाषा, यानतराय) पंचमेरून ('पंचमेद' का बहुवचन), पंचमेदन की सदा, (श्री भथपंचमेर पूजा, खानतराय) फूलन ( 'फूल' का बहुबबन ), फूलन सों पूर्जो जिनराय, ( श्री मथ पंचमेरपूजा, व्यानतराम ) विवयनि ( 'विजय' का बहुवचन ), कषाय विषयनि टालिये, ( श्री चारित्र पूजा, व्यानतराय ) सिद्धन ( 'सिद्ध' का बहुवचन), सिद्धन की स्तुति को कर जाने, ( श्री बृहत् सिद्धचक पूजाभाषा, व्यानतराय ) सूलन ( 'शूल' का बहुवचन), छूटों सूलम सों, ( श्री नंदीश्वर द्वीपपूजा, माणतराय ) उन्नीसवीं शती अक्षतान ( 'अक्षत' का बहुवचन), अक्षतान लाइके ( श्री पार्श्वनाथ जिनपूजा, बख्तावररत्न ) कमलन ( 'कमल' का बहुवचन), कमलन के क्ल ( श्री पंचकल्याणक पूजापाठ, कमलनयन ) गुणन ( 'गुण' का बहुवचन ), तुम गुणन की ( श्री अनंतनाथ जिनपूजा, रामचन्द्र ) चरनन ( 'चरन' का बहुवचन), चरनन चंद लगे, ( श्री चन्द्रमम जिनपूजा, बंदाबन ) नमन ( 'नयन' का बहुवचन), नयनन बिहारि, ( श्री पंचकल्याणक पूजापाठ, कमलनयन ) eferen ( 'विजन' का बहुवचन), भविचन देत, ( श्री पंचकल्याणक पूजापाठ, कमलनयन )
SR No.010103
Book TitleJain Hindi Puja Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAditya Prachandiya
PublisherJain Shodh Academy Aligadh
Publication Year1987
Total Pages378
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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