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उatest शती में रामचन्द्र', बस्तावररत्न', कमलनयन' और मल्लजी * विरचित पूजा कृतियों में भी यह छंद व्यवहत है ।
बीसवीं शती
रबिमल, होराचंद नेम रघुतन
कूष मात श्रीकांता आइयो । धनद देव आय बरषा करी, हम जजें धन मान वही घरी ॥
१. श्री सम्मेदशिखर पूजा, रामचन्द्र, गृहीतग्रंथ -जैन पूजापाठ, संग्रह,
प्रकाशक - भागचन्द्र पाटनी, न० ६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ १२५ ।
२. भ्रमर सावन दशमी गाइयो,
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- श्री कुंथुनाथ जिनपूजा, बख्तावररत्न, संगृहीतग्रंथ पूजांजलि, प्रकाशक -अयोध्याप्रसाद गोयलीय, मत्री, ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस, संस्करण १६५७ ई०, पृष्ठ ५४४ :
३. श्री पंचकल्याणक पूजापाठ, कमलनयन, हस्तलिखित |
५. खण्डधातु गिरि अचल जु मेरा,
जान,
दक्षिण तास भरत बहु घेरु । तामे चोबीसी त्रय आगत नागत अरु वर्तमान ||
ज्ञानपीठ भारतीय
४. श्री क्षमावाणी पूजा, मल्लजी, सगृहीतग्रंथ -- ज्ञानपीठ पूजांजलि, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस, संस्करण १६५ ई०, पृष्ठ ४०२ ।
श्री तीस चोबीसी पूजा, रविमल, सगृहीतग्रंथ जैन पूजापाठ संग्रह, प्रकाशक - भागचन्द्र पाटनी, न०६२, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७, पृष्ठ २४७ ।
७. श्री अकृत्रिम चैत्यालय पूजा, नेम प्रकाशक - भागचन्द्र पाटनी, नं० ६२, पृष्ठ २५१ :
६. श्री चतुविंशति तीर्थंकर समुच्चय पूजा, हीराचंद, संगृहीतग्रंथ-मित्य नियम विशेष पूजन सग्रह, सम्पा० व प्रकाशिका ब्र० पतासीबाई जैन, गया ( बिहार ), पृष्ठ ७१ ।
संगृहीतग्रंथ जैन पूजा पाठ संग्रह, नलिनी सेठ रोड, कलकत्ता-७,
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८. श्री विष्णु कुमार महाराज पूजा, रघुसुत, संगृहीतग्रंथ - राजेश नित्य पूजा पाठ संग्रह, राजेन्द्र मेडिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, संस्क० १६७६, पृष्ठ ३६७ ।