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है कुमलपुर । वर्ण है पीत और आपका चिन्ह है 'सिंह'। महावीर के दूसरे नाम बर्षमान, सन्मति, धीर, अतिवीर हैं।
बीसतीर्थकर (श्री बोस तीर्थकर पूजा भाषा)-विदेह देश में बीसतोर्यकर हये हैं । अपांकित उनका संक्षिप्त परिचय प्रष्टथ्य है--- (१) सोमन्धर- विदेह क्षेत्र के पुजारीकणी नगरी के सोमन्धर
स्वामी के पिताश्री का नाम है बीहंस । (२) युगमन्धर- आपके पिता का नाम श्रीव्ह है। (३) बाहु- सुसीमा नगरी के बाहु माता विनया की कुक्षि
से जन्मे। आपके पिता का नाम सुग्रीव है।
हरिण आपका चिन्ह है। १. सीमन्धर सीमन्धर स्वामी, जुगमन्धर जुगमन्धर नामी ।
बाहु बाहु जिन जग जनतारे, करम सुबाहु बाहुबल दारे ।। जात सुजात सु केवल ज्ञान, स्वयं प्रभ प्रभु स्वयं प्रधानं । ऋषभानन ऋषिभानन दोष, अनन्तवीरज कोषं । सोरीप्रम सोरीगुणमालं, सुगुण विशाल विशाल दयालं । वजूधार भवगिरि वज्जर हैं, चन्द्रानन चन्द्रानन वर हैं । भद्रबाहु भद्रनि के करता, श्री भुजंग भुजंगम हरता। ईश्वर सबके ईश्वर छाजे, नेमिप्रभुजस नेमि विराजे ।। वीरसेन वीर जग जानें, महाभद्र महाभद्र बखाने । नमो जसोधर जसधरकारी, नमों अजित वीरत बलकारी । --- श्री बीसतीर्थकर पूजाभाषा, धानतराय, संगृहीतग्रंथ-राजेश नित्य पूजापाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल वर्स, हरिनगर, अलीगढ़, सन् १९७६,
पृष्ठ ५६ । २. सित्यवसयल चक्की सट्ठिसयं पुहवरेण अवरेण ।
बीसवी सयले खेते सत्तरिसयं वर दो। तीर्थकर पृथक्-पृथक् एक-एक विदेह देश विषे एक-एक होई सब उत्कृष्ट पने करि एक सौ साठि होइ । बहुरि जघन्य पने करि सीता सीतोदाका दक्षिण उत्तर तट विषे एक-एक होई ऐसे एक मेरु अपेक्षा च्यारि होहि । सब मिलि करि पंचमेरु के विदेह अपेक्षा करि बीस होहै। --त्रिलोकसार, गाथासंख्या ६८१, प्रकाशक-जैन साहित्य, बम्बई, प्रथम संस्करण ई० १६१८, संगृहीत ग्रंथ- जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश, भाग २, इ. जिनेन्द्रवर्णी, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, दुर्गाकुण्ड मार्ग, वाराणसी-५, प्रथम संस्करण, सन् १९७१, पृष्ठ ३९१ ।