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और अन्त में जीवन का चरम लक्ष्य निर्वाण प्राप्त करना है, इसलिए भावकों के लिए प्रतिदिन किए जाने वाले छह कर्मों का स्पष्ट विधान किया गया है । देवपूजा, साधुसेवा, स्वाध्याय, संयम, तप और त्याग इन षट् कर्मों को प्रतिदिन करने को आवश्यक माना गया है । इन षट् कर्मों में देव पूजा को प्रथम स्थान प्राप्त है। पूजा का उद्देश्य आत्म विकास का करना है । आध्यात्मिकता को पूर्णतया विकसित करना ही पूजा का फल माना जाता है ।
पूजा दो तरह से की जा सकती है। एक भावों के द्वारा तथा दूसरे द्रव्य को आलम्बन बनाकर । प्रथम पूजा भाव पूजा कहलाती है तथा दूसरी पूजा द्रव्य पूजा के नाम से जानी जाती है । द्रव्यों के उपयोग किए बिना मन ही मन पूजा करना भाव पूजा है। इसमें मन, वचन और काय तीनों का जिनेन्द्र की भक्ति में तादात्म्य करना होता है । द्रव्य पूजा अष्टद्रव्य पूजा कहलाती है जिसमें आठ द्रव्यों-जल, चन्दन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य, दीप, धूप एवं फल का उपयोग होता है । लेकिन द्रव्यपूजा का उद्देश्य भी निर्विकार दशा की और अपने आप को संजोना है। दोनों ही प्रकार की पूजाएँ अनादि है । जब से अरिहंत सिद्ध आचार्य परम्परा है तब से श्रावक परम्परा है तो पूजा की परम्परा अनादि है । उसका छोर पाना सम्भव नहीं है। तिलोयपण्णत्ती आदि ग्रन्थों में अष्टद्रव्य से पूजा करने का वर्णन आता है। आचार्य वीरसेन ने षट् खण्डागम की धवला टीका में पूजाओं का उल्लेख किया है । आचार्य रामन्तभद्र ने पूजा करने को श्रावक का महान कर्तव्य बतलाते हुए उसे इच्छित फलमापक सर्व दुःख विनाशक एवं कामवासना दाहक कहा है। महापण्डित आशाघर ने अष्टद्रव्यों से पूजा करने का स्पष्ट उल्लेख करते हुए प्रत्येक द्रव्य के चढ़ाने का फल भी निर्दिष्ट किया है । इसी प्रकार आचार्य जिनसेन, अमृत चन्द्र, सोमदेव, अमितगति, पं. मेधावी, पं. राजमल्ल भट्टारक, सकलकीर्ति एवं पद्मनन्दि सभी ने पूजा के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए उसे श्रावक के आवश्यक कर्त्तव्यों में गिनाया है । स्वयं महापंडित टोडरमल जी जिन्हें तेरह पंथ आम्नाय का प्रमुख प्रचारक माना जाता है, इन्द्रध्वज विधान के आयोजन में प्रमुख योगदान देकर अष्टद्रव्य पूजा की प्राचीनतम परम्परा को स्वीकारा है ।
पूजा साहित्य जैन साहित्य का प्रमुख अंग है । यद्यपि पूजा साहित्य धार्मिक साहित्य के अन्तर्गत आता है लेकिन इस साहित्य में भी जैनाचार्यों एवं कवियों ने एकदम नया रूप दिया है और इस साहित्य में वो उन सभी तत्वों