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काम्यप्रणयन इस शतानि की अभिनव देन मानी जाएगी। एमएस कल्याणक पर पूजा का पुरा तंत्र व्यवहत है अर्थात् स्थापना से लेकर मनाला मौर विसर्जन तक चौबीस तीर्थंकरों के प्रत्येक कल्याणक पर मात पूना का मन हमा है। मर्म कल्याणक पूजा माहात्म्य की पर्चा करते हुए कविका कपन है कि उस पूजा को पई, सुने वह व्यक्ति शिव पर को अवश्य प्राप्त करेणा'जन्म कल्याणक-का मल्यांकन करते हए पजाकारने लिखा कि सरपति प्रमके जन्म पर ताण्डव करते है और क्षेत्र में अपार हनिम्न मनाने है।'तप कल्याणक की पूजा करते समय कवि प्रम से प्रार्थना करता है कि भापके गुणों की व्याख्या इन्द्र, धणेन्द्र तथा नरेन्द्र भी नहीं कर सके फिर यह सामान्य कवि पूजक किस प्रकार कर सकता है । मानहीन समझकर शिवपुर का मार्ग प्रशस्त कीजिये. इस बंश में अथवा पजक का प्रमप्रति अनुग्रहात्मक संकेत परिलक्षित होता है। मानकल्याणक पूजा में तपत्थरणारा धातिया कर्मों का नाश कर प्रभु द्वारा ज्ञानार्जन करना हुआ है फलस्वरूप शान-प्रकाश से सारा लोक आलोकित हो उठा है। मोक्ष कल्यानक पूना में
१-धी पंचकल्याणक पूजा, कमलनयन, हस्तलिखित ग्रन्थ, जैन शोध बादमी,
अलीगढ़ में सुरक्षित। २-यह विधि गर्भ कल्याण की पूजा करो विशाल ।
पड़े सुने जे नारि-नर पावें शिव दर हाल ॥ ~श्री पंच कल्याणक पूजा, कमलनयन, हस्तलिखित पंच, जन गोष
अकादमी, आगरा रोड, अलीगढ़ में सुरक्षित । ३-तब सुरपति अति चाव सों, तांडव नृत्य करान। जिन मुख-चन्द्र विलोकि के हरष्यों हिय न समान ।। --श्री पंचकल्याणक पूजा, कमलनबन, हस्तलिखित ग्रंथ, जैन सोग
अकादमी, आगरा रोड अलीगढ़ में सुरक्षित । ४-तुम गुणमाल विशाल बरनि कवि को कहै,
इन्द्र धनेन्द्र नरेन्द्र पार कोऊ ना लहै। मैं यति हीन अयान शान बिन जानिए, दो शिवपुर थान अरज मेरी मानिए। -~श्री पंचकल्याणक पूजा, कमलनयन, हस्तलिखित ग्रंथ, जनशोध कारवी,
आगरा रोड, अलीगढ़ में सुरक्षित । ५-ये तीर्थकर सत मत तप करि घातिया ।
घोत चारि करम रिपु रहे हैं अषातिया ॥ तिन के नाशन कारन उबमवान है। प्रकट्यो केवल ज्ञान सुमान समान है । -श्री शान कल्याणक पूजा, कमलनयन, हस्तलिखित प, नसोच मकादमी, बागरा रोड, अलीगढ़ में सुरक्षित ।