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धन्यवाद
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श्रीमान् बाबू छोटेलालजी जैन कलकत्ता ने, जो कि साहित्य इतिहास और पुरातत्रके विषय में गहरी रुचि तथा दिलचस्पी रखते हैं. इस ग्रन्थ के प्रकाशन में वीरसेवामन्दिरको एक हजार १०००) रुपयेकी सहायता प्रदान की है, जिसके लिये उन्हें हार्दिक धन्यवाद समर्पित है ।
जुगलकिशोर मुख्तार