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________________ ८६ r विषय - पृष्ठ विषय षदचतुर्थवर्तमानजिनार्चन ४०, १०० समन्तभद्र-भारती षट्दर्शनप्रमाणप्रमेयसंग्रह समवसरणपाठ ७६,८० षद्ग्यनिर्णय १०. समाधितन्त्र १०० षट् पाहुडटीका १७ समाधितंत्र(शतकोटीका षट्रसकथा २२ सम्मेदशिखर ३२,३४ षण्णवतिक्षेत्रपालपूजा ममयसार षण्णवतिप्रकरण सम्यक्त्वकौमुदी षोडशकारण कथा संयमकीति षोडशकारणवतोद्यापन संयमसेन षोडशकारणयन्त्र ३४ सरस्वतिगच्छ ६,१३,१५, १८,२३ सकरू (तू) साहू २६,३१,५०,७५,७६,८०,१२ सकलकीर्ति (भट्टारक) १,१०,११, सरस्वति-स्तवन १६,२६,५० सरस्वती सकलचन्द्र (भट्टारक) ३१,८४ सरस्वती(भारतो) कल्प ६,७२ सकलभूषण (भट्टारक) १८,२६ सर्वसाधु ३५,३६ सकलविधिविधान (काव्य) ६६ सल्लक्षण सकीटनगर (एटा) सलेमपुर सजानचित्तवल्लभ सहस्रकीर्ति (भट्टारक) २७, २६, सतना सहस्रनामस्वोप० टी० सत्यवाक्य सन्तोष (जैसवाल) सद्भाषितावली मंशयवदन विदारण सप्तव्यसन-कथा-समुच्चय माकुम्भरी सपादलक्ष सबलीकरहाटक मागपत्तन (सागवाड़ा) ममकितराम सागरचन्द्र (मुनि) समन्तभद्र (प्राचार्य) ४१,४५,६० ___८५, ६८,१०१, ५१३ मागरसेन (मुनि) F S ur m ० ४ ० ०
SR No.010101
Book TitleJain Granth Prashasti Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParmanand Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1954
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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