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________________ अन्य युक्त्याभास [ ७९ २ शंका - सर्वज्ञ नहीं है असत् का प्रत्यक्ष असम्भव होनेसे, इत्यादि अनुमानों में हेतु का आधारभूत सर्वज्ञ सिद्ध होगया जिसमें हेतु रहता है, यदि हेतु पक्ष में नहीं है तो इस अनुमान से सर्वज्ञाभाव सिद्ध न हो सका । समाधान - केवल अस्तित्व या नास्तित्व साध्य नहीं होता, किसी वस्तु का अस्तित्व या नास्तित्व साध्य हुआ करता है और उसका आधार रूप पक्ष कोई क्षेत्र या द्रव्य होता है । जैसे खरविषाण नहीं है, यहाँ खर पक्ष है विषाण का नास्तित्व साध्य है, अथवा जगत पक्ष है खरविषाण का नास्तित्व सांध्य है । सर्वज्ञताबाक अनुमान में आत्मा पक्ष है सर्वज्ञताभाव साध्य है | हेतु आत्मा रूप पक्ष में रहता है । अथवा जगत को पक्ष बना सकते हैं । इसप्रकार हेतु की पक्ष में वृत्ति अवृत्ति को लेकर इस अनुमान का खण्डन नहीं किया जा सकता । ३ शंका - कोई आत्मा सफल पदार्थों का प्रत्यक्ष करता है क्योंकि सकल पदार्थों को ग्रहण करना आत्मा का स्वभाव है और आत्मा के प्रतिबन्धक कारण नष्ट होते हैं । समाधान हेतु सिद्ध हो तो साध्यसिद्धि के लिये उपयोगी हो सकता है, यहां सकल पदार्थों को ग्रहण करना आत्मा का स्वभाव ही असिद्ध है । सकल तो क्या वह अनन्त पदार्थ को भी ग्रहण नहीं कर सकता । यह बात पहिले अच्छी तरह बतलाई जा चुकी है । ४ शंका - किसी पदार्थ का अभाव ज्ञान मानसिक ज्ञान है, यह तब ही हो सकता है जब उस पदार्थ का ज्ञान हो जहां कि
SR No.010099
Book TitleJain Dharm Mimansa 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1940
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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