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________________ असत् का प्रत्यक्ष असम्भव [४५ पदार्थ की कारणता छिन नहीं सकती उसी प्रकार चेतना का जागरण कारण होने से पदार्थ की कारणता छिन नहीं सकती। प्रश्न-पदार्थ तो परम्पराकारण है साक्षात् कारण तो चेतना का जागरण ही है । परम्परा कारण को कारणों में नहीं गिन सकते । जैसे घड़ा बनाने में कुम्हार के बाप की या मिट्टी ढोनेवाले गधे की गिनती कारणों में नहीं है उसी प्रकार पदार्थ की गिनती भी प्रत्यक्ष के कारणों में नहीं है क्योंकि दोनों में समयभेद है । उत्तर-विष खाने से जब आदमी की मौत हो जाती है तब उस मौत का कारण विषभक्षण ही कहा जाता है भले ही विषभक्षण और मौत के समय में घंटों और दिनों का अन्तर हो । समयभेद होने के कारण विष को कुम्हार के बाप या मिट्टी ढोनेवाले गधे के समान नहीं कहा जा सकता। क्योंकि मृत्युरूप कार्य की जो विशेषता है उसका कारण विष ही है। घट रूप कार्य की विशेषता का कारण कुम्हार है उसका बाप या गधा नहीं, इसलिये कुम्हार के बाप को या गधेको सामग्री में शामिल नहीं किया जाता। जब हमें मनुष्यज्ञान होता है तब ज्ञान की इस विशेषता का कारण मनुष्य ही है । आँख वगैरह तो दूसरे प्रत्यक्षों में भी समान हैं । घटप्रत्यक्ष पटप्रत्यक्ष मनुष्यप्रत्यक्ष पशुप्रत्यक्ष आदि प्रत्यक्षों में आँख प्रकाश आदि की समानता रहने पर भी जो विशेषता है उसका कारण घट पट मनुष्य पशु आदि ही है इसलिये पदार्थ को प्रत्यक्ष में कारण मानना ही चाहिये। नहीं तो ज्ञान की विशेषता अकारणक हो जायगी ।
SR No.010099
Book TitleJain Dharm Mimansa 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1940
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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