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________________ १८०] - चौथा अध्याय बल से उसे लौटादिया)। जिससे गोशालक का शरीर जलने लगा। म. महावीर भी बीमार हो गये । गोशालक ने कहा, तुम अभी बच गये परन्तु सात दिन में मर जाओगे । म. महावीर ने कहा-मैं अभी १६ वर्ष तक जिऊंगा, तुम्ही सात दिनमें मरजाओगे । [१६ वर्ष की बात महावीर-निर्वाणके बाद दिन गिनकर आचार्योंने लिख दी है ] यह समाचार शहर में पहुँचा। लोग आपस में बातचीत करने लगे कि श्रावस्ती नगरी के कोष्ठक चैत्यमें दो जिन लड़ रहे हैं एक कहता है कि तू पहिले मरेगा, दूसरा कहता है कि तू पहिले मरेगा । न. जाने इनमें कौन सत्यवादी है और कौन मिथ्यावादी है १। गोशालक की मन्त्रशक्ति निष्फल जाने पर म. महावीरने अपने शिष्यों से कहा कि अब गोशाल राख आदि के समान निर्वीर्य हो गया है, अब यह कुछ नहीं कर सकता इसलिये अब युक्ति दृष्टान्तों से इसकी (२) बोलती बन्द करदो । म. महावीर के शिष्यों ने ऐसा ही तएणं सावीए नयीए बहुजणो अन्नमन्नस्प एवमाइक्खइ ... एवंखल्ट, देवाणप्पिया सावथीए नयरीय बहिया कोट्ठए चेइए दुवे जिणा सलवंति एगे वयंति तुमं पुच्विं कालं करेस्ससि एगे वदति तुमं पुस्विं कालं करेस्स सि । तत्थ णं के पुण सम्मावाई के पुण मिच्छावाई ? २ समणे भगवं महावीर समणे निग्रोथ आमंतेत्ता एवं वयासी-अञ्जो से जहानामए तणरासीइवा कट्टरासीइवा पत्तरासीइवा तुसरासीइवा भुसरासीइवा गोमयरामी इवा अवक्खरासी इवा अगणिझामिए अगणिझूसिए अगणिपग्णिामिए हयतये गयतेये नढतेये लत्तत्तये विणद्रुतये जाव एवामेव गोसाले मखलिपुत्त मम वहाए, सरीरंगसितजं निसिरत्ता हयतेय जाच विणट्ठतेय जाये, तं छंदेणं अज्जा तुभ गोसलं मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोरणाए पडिचोएह, पडिचोइत्ता धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारेह २ धम्मिएण पडोचारेणं पडायारेह २ अद्वेहिय हेऊहिय पसिणहिय वागरणहिय कारणहिय निप्पट्टपासण वागरणं करेह ।
SR No.010099
Book TitleJain Dharm Mimansa 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1940
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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