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कुछ जैन पारिभाषिक शब्द
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१४०
७८
१३४
महत्
अघाति कर्म पृष्ठ १४० क्षायिक भाव मधर्म द्रव्य
क्षायोपशमिक भाव अनन्तकाय
गुणव्रत अन्तराय कर्म
गुणस्थान भाग बन्ध
गोत्र कर्म अपकर्षण
घाति कर्म अप्रतिष्ठित (वनस्पति)
चेतना अभव्य
छ आवश्यक
२१० | जिन ज्ञानावरण कर्म
१३६ 'काश तीर्थकर
११२ ११८ | तीर्थ कर केवली साय ६८ दर्शनावरण कर्म
१४० द्रव्य
| देश घाती 2 - भूल गुण १७० द्रव्य
७२ द्रव्य कर्म द्रव्य पूजा
११६ द्रय-संयम । द्रव्य लिङ्ग
२१३ 'कर्पण
| धर्म द्रव्य नामकर्म
१४० दीरणा
निकाचना
१४३ उपशम
| निपत्ति उपशम श्रेणी २२३ | निर्जरा
१३१ औदयिक
निश्चयकाल औपरामिक
पंच परमेष्ठी
११६ १३२ / पच महाकल्याणक
११३ कार्मग वर्गणा
१३३ / परमाणु
६७ / पांच समिति
११२ | पारिणामिक भाव २२१ सपक श्रेणि
२२३ पुद्गल द्रव्य १. यहां उन्ही शब्दोको दिया है जिनकी परिभाषा 'जनधर्म' पुस्तकमें आई है।
*ज्य कर्म
१३४
१२
१४३
२२०
२१०
। कालद्रव्य विली