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जैनोंका मूल मंत्र
णमो अरिहताणं, णमो सिद्धाण, णमो आइरियाणं । णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं || एसो पंच णमुक्कारो, सव्व पावप्पणासणो । मंगलाणं च सव्र्व्वेसि, पढम हवइ मंगलं ॥
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(अर्हन्तोको नमस्कार, सिद्धोको नमस्कार, आचार्योको नमस्कार, उपाध्यायोको नमस्कार, लोकके सव साधुओंको नमस्कार । यह पंच नमस्कार मंत्र सव पापोका नाश करनेवाला है । और सब मंगलोमे आद्य मंगल है | )
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