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आचार्य श्री की भावना है कि सरल भाषा में लिखे गये यें ग्रन्थ जन-जन तक पहुंचे और वे इनका सदोपयोग करें इसलिये इन ग्रन्थों को लागत मूल्य से आधे मूल्य पर उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। सभी दानवीरों की सूची इन ग्रन्थों के पिछले पन्नों पर छपी हुई है।
इस सुकृत्य के लिए ग्रन्थों के तीनों भागों के प्रकाशन हेतु द्रव्य प्रदान करने वाले धर्म परायण बन्धु भी श्लाघ्य हैं। धार्मिक समाज की जितनी प्रशंसा की जाय उतनी कम हैं क्योंकि उसके प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष सहयोग से ही आज जैनदर्शनसार के तीनों भाग प्रकाशित होकर स्वाध्यायार्थ सम्मख हैं।
कुशल मुद्रक श्री रवि जैन, दीप प्रिण्टर्स ने यथासमय सुन्दर छपाई में ग्रंथ मुद्रित कर हमें सौंप दिए। एतदर्थ उन्हें हमारा हार्दिक धन्यवाद।
अन्त में, सभी स्वाध्याय प्रेमी इस कृति से लाभन्वित हों, ऐसी भावना के साथ परम पूज्य आचार्य श्री के चरणों में त्रिधा नमोऽस्तु करते हुए हम अपने निवेदन पूर्ण करते हैं।
डी.के. जैन, अध्यक्ष रवि कुमार जैन, मंत्री श्री दि. जैन मन्दिर समिति कविनगर (गाजियाबाद)
बी.डी.जैन प्रबन्ध संयोजक
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