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________________ औदारिक शरीर २४ कल्पनाबाद २६१ कर्मलित ५७ कारक साकल्य १ कर्म १२ कूटस्थ ३१ क्रिया-प्रक्रिया १ कायमवस्थ ६६ कायप्राण ७२ क्लेश १०३ कर्म-संस्थान १०५ कुब्ज-संस्थान ११६ कृष्ण लेश्या १५० काललोक १७८ कर्मावरण २४६ केवली २५४ काम २७० काययुत्सर्ग २८४ कर्ममुक्ति ३१५ गति ५ गुण २८ गति प्रगति २६ गवेषणा ७७ गुत्व २१२ वाय २६६ जैन दर्शन के मौलिक तत्व (श्री) . *पकमिकी २७५ (क): (ग) करणवीर्य ६२ फेमली समुद्घात ३८ काल ४ कर्मपुद्गल ६३ कोष्ठ-क्रिया ४१ .: कार्मण ६७ कुम्मी ७२ कर्मबन्ध ८१ क्रियमाण १०३ कषायवेदनीय : १११ कषाय १२६ कर्मपुरुष १६७ कार्यकारण २४६ कर्मग्रन्थिक २५० कुदर्शन वर्जना २५६ कायोत्सर्ग २८४ कर्मवाद ३०१ गन्ध २५ गुणी २८ गर्म ६८ गोत्र १६१ ग्रन्थि २४८ -शुति १०६. 1409
SR No.010093
Book TitleJain Darshan ke Maulik Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni, Chhaganlal Shastri
PublisherMotilal Bengani Charitable Trust Calcutta
Publication Year1990
Total Pages543
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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