SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 243
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३८ ] आराधना या मोक्ष मार्ग बन्धन से मुक्ति की ओर, शरीर से आत्मा की ओर, बाह्य-दर्शन से अन्तर- दर्शन की ओर जो गति है, वह आराधना है। उसके तीन प्रकार है. (१) शान श्राराधना (२) दर्शन-आराधना ( ३ ) चरित्र - आराधना, इनमें से प्रत्येक के तीन-तीन प्रकार होते हैं- (१) ज्ञान- आराधना -- उत्कृष्ट ( प्रकृष्ट प्रयत्न ) मध्यम ( मध्यम प्रयक्ष ) जघन्य (अल्पतम प्रयत्न ) (२) दर्शन - श्राराधना (३) चरित्र - श्राराधना —,, "" "" आत्मा की योग्यता विविधरूप होती है । श्रत एव तीनों श्राराधनाओं का प्रयत्न भी सम नहीं होता। उनका तरतमभाव निम्न यंत्र से देखिए - शान के उत्कृष्ट प्रयत्न. दर्शन के ! उत्कृष्ट प्रयत्न चरित्र के • उत्कृष्ट प्रयत्न में है che जैन दर्शन के मौलिक तत्त्व ज्ञान दर्शन दर्शन दर्शन चरित्र चरित्र चरित्र ज्ञान ज्ञान का ! का मन का उत्कृष्ट मध्यम अल्पतम उत्कृष्ट मध्यम अल्पतम उत्कृष्ट मध्यम अल्पतम प्रयत्न प्रयत्न प्रयत्न | प्रयत्न प्रयत्न प्रयत्न प्रयत्न प्रयत्न प्रयत्न ܣ sho Thes 95 99 the का का का का का का 39 che shor
SR No.010093
Book TitleJain Darshan ke Maulik Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni, Chhaganlal Shastri
PublisherMotilal Bengani Charitable Trust Calcutta
Publication Year1990
Total Pages543
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy