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[ १२२ ] (३) कोत्तिय-भूमि पर सोने वाले। (४)जण्णइ-यज्ञ याजिन। (५) सदुई-श्राद्धिक तापस । (६) सालई--अपना सामान साथ लेकर घूमने वाले। (७) हुंपवुढा-कुण्डिक सदा साथ में लेकर भ्रमण करने वाले। (८) दुतुक्खलिया-फलभोजी। (E) उम्मज्जका-उम्मज्जन मात्र से स्नान करने वाले। (१०) सम्मजका-कई बार गोता लगाकर सम्यक् प्रकार से स्नान
करने वाले। (११) निम्मज्जका-क्षणमात्र में स्नान करने वाले। (१२) संपक्खला-मिट्टी घिस कर शरीर साफ करने वाले। (१३) दक्षिणकूलका-गंगा के दक्षिण किनारे रहने वाले। (१४) उत्तरकूलका-गंगा के उत्तर किनारे रहने वाले। (१५) संखधम्मका-मोजन के पूर्व संख बजाने वाले, ताकि भोजन के
समय कोई न आए। (१६) कुलघम्मका-तट पर शब्द कर भोजन करने वाले। (१७) मिगलुद्धका-पशुओं की मृगया करने वाले। (१८) हत्थितावसा-हाथी मार महीनों तक उसी का मांस खाने वाले। (१९) उद्दण्डका-दण्ड ऊपर कर चलने वाले। (२०) दिसापोक्खीण-चारों दिशाओं में जल छिड़ककर फल-फूल एकत्र
करने वाले। (२१) वाकवासिण-वल्कलधारी। (२२) अंबुवासिण-पानी में रहनेवाले। (२३) विलावासिण-बिल ( गुफाओं) में रहने वाले। (२४) जलवासिण-जल में रहने वाले। (२५) वेलवासिण-समुद्र तट पर रहने वाले। (२६) रुक्खमूलिया-वृक्षों के नीचे रहने वाले। (२७) अंबुभक्खिण-केवल जल पीकर रहने वाले। (२८) वायुभक्खिण-केवल वायु पर रहने वाले। (२६) सेवालभक्खिण-सेवाल खाकर रहने वाले। (३०) मूलाहारा-केवल मूल खाने वाले। (३१) कंदहारा-केवल कंद खाने वाले।