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________________ [ १०८ 1 नित्य मानते हैं। क्योंकि इनके दर्शन में वेद नित्य और अपौरुषेय है, अतः शब्द भी नित्य स्वीकार कर लिया गया है। इनका कहना है कि एक स्थान पर प्रयुक्त कार आदि वर्णों का सर्वत्र बोध होता है। शब्द का एक बार ग्रहण कर लेने पर अन्यत्र उसी संकेत से वही अर्थ ग्रहण करते हैं । यदि शब्द नित्य नहीं होता तो पितामह आदि द्वारा निश्चित शब्द संकेतों से हमें ज्ञान कैसे होता है । नित्य होने पर शब्द प्रतिक्षण सुनाई देने चाहिएं, संगत नहीं है क्योंकि ओष्ठ आदि का वायु से सम्बन्ध होता है तभी शब्द की अभिव्यक्ति होती है । अतः शब्द की व्यञ्जना वायु में ही उत्पत्ति और विनाश होता है । शब्द अनित्य है । यह तर्क युक्ति बौद्ध दर्शन में कहा गया है - शब्दों की योनि विकल्प' है और विकल्पों की योनि शब्द है । इनमें परस्पर कार्य कारण सम्बन्ध है । लेकिन शब्द अर्थ का कभी स्पर्श नहीं करते । जेन दृष्टि से शब्द और अर्थ का तादात्म्य सम्बन्ध है । शब्द अर्थ से न भिन्न ही है और न अभिन्न ही । अभिन्न होता तो मोदक शब्द के उच्चारण से पेट भर जाता यदि भिन्न होता तो मोदक शब्द से मोदक पदार्थ का ज्ञान नहीं होता । अतः शब्द और अर्थ परस्पर में भिन्नाभिन्न हैं । नैयायिक अ सकारण होने से, ऐन्द्रियक और विनाशी होने से अनित्य मानते हैं । व्याकरणाचार्यों ने भी शब्दोत्पत्ति की प्रक्रिया पर बहुत सूक्ष्म प्रकाश डाला है । हमारे किस अवयव के संस्पर्श से कौन सा अक्षर प्रतिध्वनित है । स्पृष्ट, इषत्स्पृष्ट, विवृत, इषविवृत आदि भेदों के माध्यम से सुन्दर विवेचन हुआ है । भाषात्मक शब्द की निर्मिति में लगभग हमारे शरीर के २६ व्यवयब काम करते हैं। जहाँ से शब्द पैदा होते हैं वे स्थान कहलाते हैं और जो प्रक्रिया होती है उसे प्रयत्न कहते हैं। जिन-जिन शब्दों के स्थान प्रयत्न तुल्य हैं वे समानवर्गीय कहलाते हैं । इस प्रकार व्याकरणाचार्यों ने बहुत सूक्ष्म ग्रन्थियाँ खोली है। सूक्ष्म दृष्टि से जैन दर्शन में विवेचित शब्द- सम्बन्धी ग्रन्थियों को खोलें तो आधुनिक विज्ञान में त्रुटित एटम की तरह अनेकों रहस्य स्पष्ट होते दिखाई १ - स्याद्वाद मं० पृ० १७५ २-स्या० पृ० १७५ -स्था० सू० २/२/१३
SR No.010092
Book TitleJain Darshan aur Sanskruti Parishad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherMohanlal Banthiya
Publication Year1964
Total Pages263
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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