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[ १०० ] हो सकते। इन्टरफीयरेन्स का सिद्धान्त' तो इसे और भी प्रभावित करता है। जैसे विपरीत दिशाओं से आनेवाली ध्वनि की लहरें विलीन भी हो जाती है, तीव्र भी।
ध्वनि चलने में किसी न किसी माध्यम को चुनती है, विना माध्यम के चल नहीं सकती। यह अनेक प्रयोगों से प्रमाणित हो चुका है। कांच के बर्तन में घन्टी बजती हुई सुनाई देती है। पर यदि पम्प द्वारा हवा को धीमे-धीमे निकालने लगे तो ध्वनि मन्द होने लगती है। सम्पूर्ण निकालने पर घन्टी हिलती हुई दिखाई देती है। पर ध्वनि सुनाई नहीं देती। इससे लगता है कि ध्वनि प्रसार के लिए हवा एक माध्यम है जिससे ध्वनि चलती है। इसी प्रकार लोहा, ताम्बा, जल, पृथ्वी आदि अनेक माध्यम है जिससे ध्वनि चलती है। विज्ञान की दृष्टि से प्रकाश से ध्वनि की गति बहुत ही मन्द हैं। वर्षा ऋतु में बादल की गरज और विजली की चमक एक साथ उत्पन्न होती है। किंतु प्रकाश पहले दिखाई देता है, गरज बाद में सुनाई देती है। प्रकाश सेकेण्ड में जितनी दूरी को पार करता है, ध्वनि कई घन्टो में भी उतनी दूरी पार नहीं कर सकती। ___ध्वनि उत्पन्न होती है तब ध्वनि केन्द्र के चारों ओर लहरें बनती हैं। ये हवा की तहों में कम्पन करती हुई आगे बढ़ती हैं। इन लहरों से प्रकम्पित हवा की तहें जब कानों के परदे से टकराती हैं तब उसमें कम्पन होता है और ध्वनि सुनाई देती है। इन लहरो में जो गति होती है वह माध्यम की इलाष्टिसिटी और उसके घनत्व व आकाशीय वातावरण पर निर्भर करती है। किन्तु व्यक्ति की या ध्वनि उत्पादक यन्त्र की क्षमता पर निर्भर नहीं करती। ___ ओक्सीजन हाइड्रोजन की अपेक्षा १६ गुणा भारी है। अतः हाइड्रोजन में आक्सीजन की अपेक्षा ध्वनि की गति ४ गुना अधिक होती है। गैस की अपेक्षा ध्वनि की गति पाँच गुना अधिक है। ठोस में ध्वनि की गति बहुत ही तीव्र होती है। लोहे में ध्वनि की चाल १.५ गुना अधिक है। तापक्रम से भी धनि की गति में अन्तर आता है। ग्रीष्म ऋतु में जब तापक्रम बढ़ जाता है तब ध्वनि की गति भी बढ़ जाती है तथा सर्दी की मौसम में घट जाती है।
१-इन्टरफीयरेन्स-एक दूसरे को प्रभावित करनेवाली ध्वनि की क्रिया को कहते हैं।
२-बाहरी ताकत से किसी वस्तु के सेप और साइज में परिवर्तन कर दिया जाए, लेकिन उस ताकत के हटाने पर वस्तु का मूल रूप में परिवर्तन हो जाना-पदार्थ के इस गुण को 'इलास्टिसिटी' कहते है।