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________________ खण्ड] * लोक अधिकार * सौ योजन ऊपर नन्दन वन है । उससे सोमनस वन हैं और उससे छत्तीस हजार वन है । इस पाण्डुक वनमें स्वर्णमय हैं। पूर्व में पण्डुकशिला और पश्चि दो दो सिंहासन हैं। जिनपर जम्बू विदेहके क्षेत्रों में जन्मे हुए चार तीर्थ दक्षिण में पाण्डुक शिला हैं, इमपर भरत ५ करोंका और उत्तर में रक्त शिला है, जिसपर ऐ हुए तीर्थकरों का जन्मोत्सव होता है । मेरु पर्वत के दक्षिणने ४५००० यो अन्दर भरत नामका क्षेत्र हैं । इस भ नामका पर्वत है। इस क्षेत्र में गङ्गा नदियाँ हैं, जो चूलहमवत पर्वतसे नि नदियों में चौदह चौदह हज़ार उपनदियाँ - मेरु पर्वत के उत्तर दिशामें ४५००० ये दूसरा द्वार है उसके अन्दर भरत क्षेत्र इसमें 'रक्ता' और 'रक्तोदा' नाम शिखरी पर्वत से निकलती हैं । जम्बू द्वीपमें भरत क्षेत्रकी ह • पर्वत है और ऐरावत क्षेत्रकी हद्दक. भरत क्षेत्रको वैताढ्य पर्वत छह खंडों में विभाजित करती हैं।
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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