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* जेल में मेरा जैनाभ्यास #*
[तृतीय
चार-चार हज़ार सामानिक देव, सोलहरक्षक देव, चार अप्रमहिषी इन्द्राणियाँ, रेवार और सात अनीका होती हैं । इसके षट्के ८००० देव, मध्य परिषद् के १०००० १२००० देव होते हैं ।
देवोंकी आयुष्य जघन्य १०००० वर्षकी की होती है।
योजन तो जहाँ हम रहते हैं उस पृथ्वीके |योजन ऊपर हैं। इस प्रकार यह तिरछा लोक की ऊँचाई अथवा मोटाईका है, जिसमें नौ - हम पहिले पृष्ठों में कर आये हैं, बाक्क्री
मण्डलका वर्णन हम यहाँ करेंगे ।
कि हम लोग रहते हैं, असंख्यात उसमें अढ़ाई द्वोपमें ही रहते हैं । अढ़ाई | भूमि हैं । एक वह जहाँ मनुष्य खेती ये करते हैं, उसे 'कर्मभूमि' कहते हैं। दूसरी कर्म नहीं करते हैं अर्थात् जिनकी सारी शे जाती हैं, उन्हें 'अकर्मभूमि' या 'भोगदीपके बाहर मनुष्य नहीं पाये जाते हैं ।
'लचर, पक्षी आदि जानवर ही होते
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वे सब गोलाकार हैं । पहिले द्वीप