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________________ लोक अधिकार मजिस प्रकार एक झाड़ या छींका लटका रहता है, इसी प्रकार अथवा लोक अलोकाकाशमें तनुवात घनवात और उसके बाद घनोदधिके श्राध है। अर्थात् जिस प्रकार पानीके आधारपर है, उसी प्रकार यह लोक आकाशमें तनुवात घनोदधिके आधारपर ठहरा हुआ है। ___ लोकसे अलोकका भेद करनेवाली ध' काय, पुद्गल, जीव और काल द्रव्य । हैं, वह अलोक है । दूसरे शब्दों में यह अलोकमें सिवाय पोलके और कोई किसी प्रक अरूपी वस्तु नहीं है। यह लोक नीचे सात रज्जु लम्बा और चौड़ा है। ऊपरकी ओर अनुक्रमसे प्रदेश-प्रदेश कम होते-होते. सार ऊपर आवें वहाँ, दोनों दीपककी संधिके स्थानपर एक र रह गया है। आगे क्रम-क्रमसे बढ़ता-बढ़ता दुसरे तार सन्धिके स्थानपर साढ़े तीन रज्जु ऊपर भावे वहा है और आगे क्रम-क्रमसे घटता घटता-तीसर
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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