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खण्ड
* जैनधर्मकी प्राचीनता *
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१-पुराणों के जमाने में जैनधर्म विद्यमान था। क-जिस समय पुराणोंकी रचना हुई उस समय जैनधर्म
अपनी यौवन-दशामें था । ख-उस समय आपसका विरोध कल्पनातीत दशाको पहुँच
चुका था। २-पुराणों में जैनधर्मकी उत्पत्तिक जितने भी लेख हैं, वे एक
दूसरेसे विचित्र और प्रतिकूल हैं।
क-उनमें ऐतिहासिक सत्यता बहुत ही कम है। ३-जैनधर्मकी उत्पत्ति-विषयक अनेक प्रकारकी जो मिथ्या
कल्पनायें प्रचलित हो रही हैं, उनका कारण भी पुराण-गत जैनधर्म-विषयक लख ही हैं । जैसे-- क-जैनधर्म बौद्धधर्मसे निकला है और उसकी शाखा-मात्र
है। जैन और बौद्ध मत एक ही है। उनके चलाने वाला एक ही पुरुष है। वह प्रथम बुद्ध था, बादमें जैन
हो गया, इत्यादि। ४-इसके सिवा पुराणों के उल्लेखसे एक बात यह भी प्रकट होती है कि उस समयकी वैध-पशु-हिंसाका बड़ा जोर था।जैन
और उसके परवर्ती बुद्धधर्मने उसके रोकनेकेलिए बड़ा प्रयत्न किया और इस कार्य में उसे बड़ी भारी सफलता प्राप्त हुई। ___क्या रामायण और महाभारतमें जैनधर्मका जिक्र नहीं ? (यद्यपि जैनधर्म में भी रामायण और महाभारत हैं, पर वे बाल्मीकि रामायण और व्यास-महाभारत से कुछ भिन्न है।)