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________________ खण्ड * नवतत्त्व अधिकार * १८३ २-द्वीन्द्रियका अन्तरकाल कम-से-कम एक अन्तर्मुहूर्त और अधिक-से-अधिक अनन्तकाल है। ३-त्रीन्द्रियका अन्तरकाल कम-से-कम एक अन्तर्मुहूर्त और अधिक-से-अधिक अनन्तकाल है। ४-चतुरिन्द्रियका अन्तरकाल कम-से-कम एक अन्तर्मुहूर्त और अधिक-से-अधिक अनन्तकाल है। ५-पञ्चेन्द्रियका अन्तरकाल कम-से-कम एक अन्तर्मुहूर्त और अधिक-से-अधिक अनन्तकाल है। जीवोंका अल्प-बहुत्व लोकमें सबसे कम जीव संझी पञ्चेन्द्रिय हैं। इनसे विशेषाधिक असंज्ञी पञ्चेन्द्रिय जीव हैं । इनसे विशेषाधिक चतुरिन्द्रिय जीव है। इनसे विशेषाधिक त्रीन्द्रिय जीव हैं। इनसे विशेषाधिक द्वीन्द्रिय जीव हैं । एकेन्द्रिय जीव उनसे अनन्त गुणे हैं। ___ सबसे कम संख्यामं चतुरिन्द्रिय पर्याप्त जीव हैं। इनसे पञ्चन्द्रिय पर्याप्त जीव विशेषाधिक संख्यामें हैं। इनसे द्वीन्द्रिय पर्याप्त जीव विशेषाधिक संख्यामें हैं। इनसे त्रीन्द्रिय पर्याप्त जीव विशेषाधिक संख्यामें हैं। इनसे पञ्चेन्द्रिय अपर्याप्त जीव असंख्यातगुण हैं । इनसे चतुरिन्द्रिय अपर्याप्त जीव विशेषाधिक हैं। इनसे त्रीन्द्रिय अपर्याप्त जीव विशेषाधिक हैं। इनसे द्वीन्द्रिय अपर्याप्त जीव विशेषाधिक है। 'इनसे एकेन्द्रिय अपर्याप्त जीव अनन्तगुणे हैं।
SR No.010089
Book TitleJail me Mera Jainabhayasa
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages475
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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