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खण्ड ]
* कर्म अधिकार *
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ठीक उसी प्रकार कि जिस प्रकारका आप बीजारोपण करेंगे, उसीके अनुसार आपको उसके फलकी प्राप्ति होगी ।
शुभाशुभ कर्मोंकी कसौटी
साधारण लोग यह कहा करते हैं कि दान, सामायिक, सेवा आदि क्रियाओंके करनेमें शुभ कर्मका बन्ध होता है और किसीको कष्ट पहुँचाने, इच्छा-विरुद्ध काम करने आदि में अशुभ कर्मों का बन्ध होता है, परन्तु अशुभ और शुभ कर्मोंका निर्णय करनेकी मुख्य कसौटी यह नहीं है, क्योंकि किसीको कष्ट पहुँचाता हुआ या इच्छा - विरुद्ध काम करता हुआ भी मनुष्य शुभ कर्मका बन्ध कर सकता है। इसी तरह दान, प्रौषध, सामायिक आदि करता हुआ पुरुष कभी-कभी अशुभ बन्ध अर्थात् पाप भी बाँध लेता है।
एक परोपकारी चिकित्सक जब किसीपर शस्त्रक्रिया करता है, तब उस मरीजको कष्ट अवश्य होता है । हितैषी माता-पिता नासमझ लड़केको जब उसकी इच्छा के विरुद्ध पढ़ाने के लिये प्रयत्न करते हैं, तब उस बालकको दुःख सा मालूम होता है; पर इतनेसे न तो वह चिकित्सक अनुचित काम करनेवाला माना जाता है और न हितैषी माता-पिता दोषी समझे जाते हैं। इसके विपरीत कोई जीव भोले लोगोंको ठगने के इरादे से या किसी तुच्छ श्राशय से दान-धर्म करके उसके बदले में