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[१६] बाहुल्य से इतनी जल्दी इस ट्रैक्ट के लिखने में हम तत्पर नहीं होते। प्रो० सा० के मन्तव्यों पर समाज के विद्वानों की आगम व युक्तिपूर्ण निर्णायक सम्मतियों को छपाकर उस पुस्तक को सर्वत्र पंचायतों व भण्डारों को भेजा जाय ऐसा बम्बई पंचायत का विचार व कार्य बहुत ही स्तुत्य एवं धर्मरक्षण का साधक है।
धर्मरत्न जी की धर्म-चिन्ता प्रो० सा० के मन्तव्यों को पढ़कर हमारे पूज्य भ्राता श्रीमान धर्मरल पं० लालाराम जी शास्त्री को बहुत खेद और चिन्ता हुई, उन्होंने तत्काल ही हमें प्राज्ञापित किया कि "इन मन्तव्यों का सप्रमाण एवं सयुक्तिक खण्डन बहुत शीघ्र करो, यह कार्य धर्मरक्षा का है"। इस श्राज्ञा के साथ उन्हों ने इस ट्रैक्ट में महत्वपूर्ण सहायता देने वाले कुछ मैद्धान्तिक फुटनोट भी हमारे पास भेज दिये ।।
उनसे इसी प्रकार प्राज्ञापूर्ण शुभाशीर्वाद की सर्वदा चाहना करते हैं। श्री गो० दि० जैनसिद्धान्त विद्यालय, विनीत___मोरेना (ग्वालियर) मक्खनलाल शास्त्री भावणी १५ वी०नि० सं० २४७० )