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मोदकनुं दृष्टान्त कहेवामां आव्युं छे. आटलं कह्या बाद कयो जीव कई कई जातना बन्धनो स्वामी होय छे ए कहेवामां आव्युं छे अने छेवटे उपशमश्रेणि अने क्षपकश्रेणिनुं विस्तृत स्वरूप वर्णवामां आव्युं छे. आ मुख्य विषयो सिवाय आ कर्मग्रन्थमां ध्रुवबन्धिनी आदि प्रकृतिओने आश्रीने साधनादि भांगाओनुं निरूपण विगेरे अवान्तर अनेक विषयो प्रन्थकारे वर्णवेला छे.
आधार-आचार्य श्रीमान् देवेन्द्रसूरिए पांच कर्मग्रन्थनी रचना करी ते पहेलां आचार्य श्रीशिवशर्म-श्रीचन्द्रर्षिमहत्तर विगेरे जुदा जुदा पूर्वाचार्यों द्वारा जुदे जुदे समये मी कर्मविषयक छ प्रकरणोनी अथवा बीजा शब्दमां कहीए तो छ कर्मग्रन्थोनी रचना थई चूकी हती. ए ज छ कर्मग्रन्थो पैकीना पांच कर्मग्रन्थोने आधाररूपे पोतानी नजर सामे राखी आचार्य श्रीदेवेन्द्रसूरिए पोताना कर्मग्रन्थोनी रचना करी छे अने तेथी आचार्य श्रीदेवेन्द्रसूरिना कर्मग्रन्थोने "नव्यकर्मग्रन्थ " तरीके ओळखवामां आवे छे.
नव्यकर्मग्रन्थोनी प्राचीनकर्मग्रन्थो साथे तुलना - आचार्य श्रीमान् देवेन्द्रसूरिए जे नव्यकर्मग्रन्थोनी रचना करी छे ए उपर जणाववामां आव्युं तेम स्वतन्त्र नयी पण प्राचीनकर्मग्रन्थोने आधारे करवामां आवी छे. ए रचनामां आचार्य श्रीदेवेन्द्रसूरिए मात्र प्राचीन कर्मग्रन्थोना आशयने ज लीधो छे एम नधी पण नाम, विषय, वस्तुने वर्णववानो क्रम विगेरे दरेके दरेक बाबतमाटे तेमणे तेना आदर्शने पोतानी नजर सामे राख्यो छे ए आपणे एमना कर्मग्रन्थो अने प्राचीनकर्मग्रन्थोना तुलनात्मक निरीक्षण द्वारा समजी शकीए छी..
नाम अने विषय -- प्राचीन कर्मग्रन्थोनां नामो अने आचार्य श्रीदेवेन्द्रसूरिकृत कर्मग्रन्थोनां नामोमां लगभग समानता ज छे. जेम आचार्य श्रीदेवेन्द्रसूरिना प्रथम कर्मग्रन्थ कर्मविपाक नामर्थ ओळखवामां आवे छे तेम ते ज विषयने चर्चता प्राचीन कर्मग्रन्थविषयक प्रकरणने कर्मविपाक नामधी ज ओळखवामां आवे छे. आ रीते आचार्य श्रीदेवेन्द्रसूरिए पोताना नव्य कर्मग्रन्थोनां जे नामो आप्यां छे ते प्राचीन कर्मविषयक प्रकरणो, जेने आधारे तेमणे पोताना नव्य कर्मग्रन्थोनी रचना करी छे, तेने आधारे ज आप्यां छे.
Tata कर्मग्रन्थ पैी बीजा अने चोथा कर्मग्रन्थना नाममां दृश्य रीते सहज फरक नजरे आवे छे, तेम छतां आचार्य श्रीदेवेन्द्रसूरिए पोताना कर्मग्रन्थोने जे नामथी ओळ - खाबेल छे ते नामथी एटले के कर्मस्तव अने षडशीति ए नामथी प्राचीन बीजा अने चोथा कर्मग्रन्थने ओळखवामां आवता तो हता ज.
प्राचीन बीजा कर्मग्रन्थने तेना कर्ताए मङ्गलाचरणमा बन्धोदयसयुक्तस्तव एवं नाम
१ नमिऊण जिणवरिंदे तिहुयणवरनाणदंसणपईवे । बंधुदयसंतजुत्तं वोच्छामि थयं निसामेह ॥