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माषण
हो तो मेरी दृष्टि से ऐसी जयंतियों का कोई मूल्य नहीं है और मुझ जैसे मनुष्यों को बुलाकर उल्टा आपका रस-मंग होने की संभावना है।
१२. अब जिस महापुरुष की आप जयंती मना रहे हैं उनके जीवन-विषयक दो-चार विचार प्रस्तुत करता हूँ। १३. महावीर की मातृ-भक्तिः
आपका ध्यान मैं पहले महावीर की मात-भक्ति की और खींचता हूँ। महावीर के विषय में उनका जीवन-चरित्र लिखनेवालो ने कहा है कि गर्भ में हिलने-डुलने से माता की वेदना होगी इस विचार से वे हिलते-डुलतं तक न थे। इस बात में कवि को अतिशयोक्ति होगी लेकिन उनके विवाह आदि प्रसंगों से साफ मालूम होता है कि उनका हृदय बाल्य-काल से ही मातृ-प्रेम और कोमल भावों से ओत-प्रोत था। १४. पर-दुख कातरता या समभावना :
- दूसरों के लिए दुखी हुए बिना और उनका दुख निवारण करने के लिए दौडकर पहुँचे बिना चलता ही नहीं, ऐसा जिनका स्वभाव पड़ गया है ऐसे महावीर, बुद्ध, गांधी या एंड्रूज किसी भी सत्पुरुष का कौटुम्बिक जीवन देखें तो स्पष्ट मालूम होगा कि इनका बचपन ऐसे कुटुम्ब में गुजरा होगा जहाँ स्नेह ही स्नेह भरा होगा
और बचपन के बाद का जीवन भी इसी तरह स्नेह से भरा होगा। उन्होंने बँटवारे के लिए कभी झगडे नहीं किए होंगे। अपने और