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प. कलयाणविजय की मान्यता विदेहवच्चे, विवेहसुमाले तीस वासाइं विकट्टः यह पाठ है और वैशालिक नाम भी मिलता है। इससे मानना पड़ता है कि भगवान महावीर का जन्मस्थान विदेह जनपद में वैशाली के एक मुहल्ले में हुआ था।
२. क्षत्रियकुंड के राजपुत्र जमाली ने पांच सौ राजपूतों के साथ दीक्षा ली थी, इससे निश्चित है कि क्षत्रियकुंड एक बड़ा नगर था। तो भी भगवान महावीर ने यहां एक भी चौमासा किया हो ऐसा उल्लेख नहीं मिलता। जब कि भगवान महावीर ने बारह चौमासे वैशाली और वाणिज्यग्राम के किये। इससे लगता है कि क्षत्रियकुंड एवं ब्राह्मणकुंड वैशाली के पास के मोहल्ले थे। इससे उक्त बारह चौमासों का लाभ उन्हीं को मिला था। इस स्थिति में खास क्षत्रियकुंड में चौमासा या विहार ने किया हो और शास्त्र में उसका उल्लेख न हुआ हो ये स्वाभाविक है।
३. भगवान महावीर ने दीक्षा के दूसरे दिन कोल्लाग सन्निवेश में जाकर छठ तप का पारणा बाहुल ब्राह्मण के घर जाकर खीर से किया। जैनसूत्रों के अनुसार कोल्लाग सन्निवेश दो हैं एक वाणिज्यग्राम के पास, दुसरा राज्यगृह के पास, ये स्थान लच्छु आड़ से चालीस मील से अधिक दूर हैं। वहां पहुंच कर दूसरे दिन पारणा करना असम्भव है, हो नहीं सकता । तर्कसंगत वस्तु यह है कि भगवान महावीर ने वैशाली के पास क्षत्रियकंड के ज्ञातवनखंड में दीक्षा ली और दूसरे दिन वाणिज्युग्राम के कोल्लाग में पारणा किया।
४. भगवान ने दीक्षा के वर्ष में क्षत्रियकुंड से विहार करके कुमारग्राम, मोराक सन्निवेश आदि स्थानों में विचरणकर अस्थिग्राम में चौमासा किया। दूसरे वर्ष मौराक, वाचाला, कनखल, आश्रमपद, श्वेताम्बी होकर राजगृही आकर चौमासा किया ऐसा उल्लेख मिलता है इसके अनसार भगवान (पहले चौमासे के बाद) श्वेताम्बी आते हैं और वापिस लौटते हुए गंगानदी पार करके राजगृही पधारते हैं। (श्वेताम्बी गंगा के उत्तर में है और राजगृही दक्षिण में ) " इससे निश्चित है कि लच्छुआड़ वाला क्षत्रियकुंड असली नहीं है। वहां से राजगृही जाते समय गंगा पार नहीं करनी पड़ती, इसलिये मानना पड़ता है कि क्षत्रियकुंड गंगा के उत्तर में विहार में था अतः क्षत्रियकुंड वैशाली के पास था । (जहां भगवान महावीर का जन्म हुआ) (प्रस्तावना पृ. २५ से ३८ )
५. वैशाली के पश्चिम में गंडकी नदी थी इसके पास में ब्राह्मणकुंडपुर, क्षत्रियकुंडपुर, वाणिज्यग्राम कुमारग्राम और कोल्लाग - सन्निवेशादि उस (वैशाली) के मुहल्ले थे। ब्राह्मण कुंड एवं क्षत्रियकुंड एक दूसरे से पूर्व-पश्चिम