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१५० वैशाली पर आक्रमण का कारण हम लिख आए हैं कि लिच्छिवी और ज्ञात दोनों क्षत्रिय जातियां अलग-अलग हैं। कईयों ने लिच्छिवियों और वज्जियों को प्रायः एक माना है और इन्हें राजन्य क्षत्रिय माना है। इससे स्पष्ट ज्ञात होता है कि यह दोनों उच्चक्षत्रिय, राज नीय, व्रात्य शुद्धक्षत्रिय थे। महाराजा चेटक वैशाली के और सिद्धार्थ एवं नन्दीवर्धन (पिता-पुत्र) मगध जनपद में कंडपुर के राजा थे। अतः ये दोनों स्वतंत्र राजा थे।
वैशाली पर आक्रमण का कारण वैशाली पर आक्रमण के कई कारण बतलाए जाते हैं। १.एक जैनकथा के अनुसार सचेतक नामक हाथी और अट्ठारह लड़ियों का हार राजा श्रेणिक ने अपने छोटे पत्र बहल्ल को दिया था। परन्तु अजातशत्र इन दोनों को अपने छोटे भाई बहल्ल से हड़पना चाहता था। बहल्ल हाथी और हार को अपने साथ लेकर नाना चेटक के पास वैशाली चला गया और चेटक ने उसे संरक्षण दिया। इसलिए अजातशत्रु ने युद्ध किया। २. कुछ लोगों के अनुसार रत्नों की एक खान से अजातशत्रु ललचाया था। ३. मगधराज्य और वैशाली राज्य की सीमा गंगातट पर चंगी के विभाजन के प्रश्न पर झगड़ा हो गया था। चाहे जो कुछ भी हो। इतना तो निश्चित है कि अजातशत्र ने लोभवश इस युद्ध केलिए बड़ी तैयारियां की थीं। सर्वप्रथम इसने गंगातट पर पाटलिपुत्र (पटना) की स्थापना की। जैन विवरणों के अनुसार यह युद्ध बारह वर्षों तक चला। अन्त में वैशाली गणतंत्र मगध का अंग बन गया।
चेटक के भारत के राज्यों के साथ कौटुंबिक सम्बन्ध ___ महाराजा चेटक की एक बहन त्रिशला थी और प्रभावती आदि सात " गां थी। इनमें से छह पुत्रियों का विवाह हुआ था और एक ने विवाह नहीं #4",, उसने दीक्षा ले ली थी। अब यहां चेटक का दूसरे राज्यों के साथ संबंध बतान के लिए उनकी राजधानियों सहित नामों का उल्लेख करते हैं- १. क्षार का राजा सिद्धार्थ (बहनोई) २. वीतभय-पत्तन (सिंधु-सौवीर) का राजा : 1 ३. चंपा (बंग) का दधिवाहन राजा ४. कौशाम्बी का राजा शतानिक ५. उज्जैन (मालवा) का राजा चंद्रप्रद्योत ६. क्षत्रियकुंड (मगध) का राजा नन्दिवर्धन ७. राजगृही (मगध)का राजा श्रेणिक-बिबिसार। नम्बर दो से सात ये छह चेटक के दामाद थे। इस प्रकार सात राज्यों से चेटक के कीटविक संबंध थे।