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यात्री-यात्रीसंघ मुनि श्री सौभाग्यविजय जी ने लिखा है कि बिहार से क्षत्रियकुंड छब्बीस कोस है। वे मथुरापुर तलहटी के मार्ग से दो कोस गये और वहां नदी के दोनों
ओर दो प्राचीन जीर्ण जैनमंदिर हैं। वहीं बाहमणकंड और ऋषभदत्त का घर लिखा है। वहां से पर्वत पर वर्तमान जन्मस्थान के मंदिर में गये। फिर वहां से दो कोस पर क्षत्रियकंड (सिद्धार्थ का महल जन्मस्थान) लिखा है। वहां कोई नहीं जाता। मंदिर के दर्शन करके ही लोग लौट जाते हैं। वहां से भगवान के प्रथम उपसर्ग स्थान कुमारग्राम जिसे आजकल कोराई कहते हैं वहां बड़ के नीचे उस स्थान पर गये जहां भगवान महावीर के चरणबिंब स्थापित हैं यात्रा की। यहां से चार कोस गए जहां का धन्ना अनगार (मुनि) था।
• १. उपर्युक्त सब तीर्थमालाओं के वर्णन से स्पष्ट है कि आठ-नौ सौ वर्षों की यात्राओं के प्रमाणों से वीरप्रभु की जन्मभूमि के सहस्राब्दि से चली आयी परम्परा का सबल संकेत देती है। वहां का ब्राह्मणकंड-माहणा और कमारग्राम (कोराईगांव) तथा पुरातत्त्व सामग्री इस बात की साक्षी है। कोल्लाग आज कोनाग कहलाता है। काकंदी आज काकन कहलाती है। आज जिस वैशाली को भगवान महावीर की जन्मभूमि बतलया जाता है वहा न तो पुरातत्त्व है न परम्परा और न ही जैनतीर्थ की मान्यता भी।।
२. वैशाली जन्मभमि न होने का यह बहुत ही महत्वपूर्ण प्रमाण है कि चेटक और अजातशत्रु के साथ जो महाशिलाकंटक महाभयंकर युद्ध हुआ था उस समय वैशाली का एकदम ध्वंस हो चका था। यदि क्षत्रियकंड वैशाली का ही एक मोहल्ला या उपनगर होता तो नन्दीवर्धन (भगवान महावीर के बड़े भाई) का स्वतंत्र राज्य कायम कैसे रह सकता था। नन्दीवर्धन जीवित रहे और उनका राज्य भी कायम रहा तभी तो वे भगवान महावीर के निर्वाण होने पर दाहसंस्कार के समय पावापुरी पहुंच गये थे। (इसका हम पहले विस्तार से वर्णन कर आए हैं)।
३. वस्तुतः भगवान महावीर की जन्मभूमि की पहचान के संबंध में सर्वाधिक प्राचीन मत श्वेतांबरजैनों का है इन के मतानुसार बिहार प्रदेश के मंगेर जिला अंतर्गत जमुई सबडिविजन में लच्छुआड़ जो सिमरिया से पांच मील पश्चिम में और सिकंदरा से चार मील दक्षिण-पश्चिम के समीप कंडग्राम क्षत्रियकुंड ही भगवान महावीर का वास्तविक जन्मस्थान है। इसका समर्थन अर्धमागधी भाषा के प्राचीन जैनागम, इतिहास, भूगोल, भूतत्वाविधा, पुरातत्व, यात्रियों द्वारा लिखित प्राचीन तीर्थ मालायें, भाषा आदि से बराबर होता है। इन सब दृष्टियों के पूरे विवेचन, विश्लेषण और विस्तार से हम कर आए हैं।