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क्षत्रियकड बलपटी का द्योतक है। यहां से आठ मील पर माहणागांव है। जो ब्राह्मणकंडग्राम का प्रतीक है। महावीरप्रभु के नाम पर बीरडीह है जो अपभ्रंश होकर बरडीह कहाजाता है। इसके समीप ही किसी टीले से मर्तियां प्राप्त हई हैं। लच्छआड़ के पूर्व में पांच मील की दूरी पर महादेव-सिमरिया में पंच जिनालयों (जैन मंदिरों) का उल्लेख भी मुनिश्री दर्शनविजय जी (त्रिपुटी) ने अपनी पस्तक क्षत्रियकंड में किया है। गिरुआ- परषंडा जो लच्छआड़ से पाचमील दर पर्वोत्तर की ओर है, वहां एक प्राचीन जैन तीर्थंकर की मर्ति है जिसे जैनेतर लोग किसी अन्य देवता के नाम से बड़ी श्रद्धा और भक्ति से पूजते हैं।
श्री नरेशचंद्र मिश्र 'भंजन' जो मननगांव निवासी है। वे लिखते हैं कि यायावर बनकर मैं इन गांवों में घूम-घूम कर देख चुका हूं और गेरुआण्रषंडा में भी मझे लगातार ११वर्षों तक रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इसी गांव के समीप धनामागांव में एक छोटी पहाड़ी है। जिस पर लगभग ढाई हजार वर्ष के एक विशाल मंदिर के अवशेष हैं। नींव की ईंटें बहुत ही बड़ी हैं। जैसे ई. पू. तीमरी शती की होती हैं। उसी की बगल में एक गहरा कंआ है। जिस में जैन और जैनेतर मूर्तियां उपलब्ध होती रहती हैं।। अगर प्रयत्न किया जाय तो इस कए में जैनमूर्तियां का उद्धार संभव है और इस क्षेत्र के जैन इतिहास पर महत्वपूर्ण प्रकाश पड़ सकता है। इसी पहाड़ी में एक गफा है, जो संभवतः जैनमुनियों का ध्यानस्थान रहा होगा। पहाड़ी के नीचे विस्तृत क्षेत्र में प्राचीन आबार्दी के अवशेष हैं। ढाई हजार वर्ष पुराने कितने ही कंए हैं। जो उस समय की बड़ी-बड़ी ईंटों से बने हैं।
काकंदी गेरुआपरफंडा से केवल चार मील की दूरी पर काकंदी जैनों का प्रसिद्ध तीर्थ है। यहां नौवें तीर्थकर सुविधिनाथ (पुष्पदंत) के च्यवन (गर्भ), जन्म, दीक्षा तीन कल्याणक हुए हैं। भगवान महावीर के समय यहां का राजा जितशत्रु था। इस नगर के बाहर सहनाभ वन उद्यान था। भगवान महावीर यहा कितनी ही बार आए थे। भद्र सार्थवाह के पुत्र धन्ना एवं सनक्षत्र ने यहीं पर भगवान महावीर से दीक्षाएं ग्रहण की थीं। प्रभु महावीर के श्रमण शिष्य क्षेमक और धृतिधर गृहस्थाश्रम में यहीं के रहने वाले थे। स्थानीय सर्वसाधारण जनता आज इस गांव को काकन नाम से पहचानती है। यहां टीले पर एक विस्तृत भव्य जैनमंदिर है। टीले का वृहद् बाकार सुरम्य स्थान तथा प्राचीन तालाब आदि इसकी प्राचीन महत्ता के प्रमाण है। प्राकृत भाषा में इस नगरी के नाम के कितने