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क्षत्रियकंड
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दूर
हैं इसके निकट आस-पास कोई ऐसा ग्राम-नगर उद्यान भी नहीं है जहां भगवान के क्रीड़ास्थल, दीक्षास्थल, दीक्षा के बाद बिहार स्थल हो । अतः हमें भूतत्व विधा के प्रमाण से भी लच्छुआड़ के निकट भगवान महावीर का जन्मस्थान मानने में सहयोगी हैं।
३. इतिहास (HISTORICAL)
इस मामले में ऐतिहासिक तथ्य भी वैशाली के विरुद्ध हैं। विदेह जनपद वैशाली के राजा चेटक की सात पत्रियां थीं । १. प्रभावती, २. पद्मावती, ३. मृगावती, ४. शिवा, ५. ज्येष्ठा ६. सृज्योष्ठा और ७. चेलना । तथा चेटक की बहन त्रिशला थी । त्रिशला का विवाह मगध जनपद में क्षत्रियकंड के राजा. सिद्धार्थ के साथ हुआ था जो भगवान महावीर की माता थी । १. प्रभावती का विवाह वीतभयपत्तन (सिंध-सौवीर जनपद ) के राजा उदायण से हुआ था। २. पद्मावती का विवाह चंपा ( अंग जनपद ) के राजा दधिवाहन से हुआ था । ३ मृगावती का विवाह कोशांबी ( वत्म जनपद ) के राजा शीतानिक से हुआ था । ४ शिवा का विवाह उज्जैन के राजा चन्द्रपद्यौत से हुआ था । ५. ज्येष्ठा का विवाह क्षत्रियकुंड (मगध जनपद) के राजा नन्दीवर्धन (भगवान महावीर के बड़े भाई के साथ) हुआ था। और ६ चेलना का विवाह राजगृही (मगध जनपद) के राजा श्रेणिक (बिंबसार) से हुआ था । एवं ७. सुज्येष्ठा ने विवाह नहीं किया। उस ने दीक्षा ले ली थी और श्रमणीमघ में शामिल हो गई थी।
वर्तमान के कुछ पाश्चिमात्य तथा भारतीय विद्वानों का मत है कि भगवान महावीर का जन्म विदेह जनपद के वैशाली नगर के एक मोहल्ले में हुआ था जिस मोहल्ले के स्वामी भगवान महावीर के पिता सिद्धार्थ साधारण सरदार (उमराव ) थे। हम उनकी इस मान्यता का निराकरण बहन विस्तार के साथ- साहित्य के प्रकरण में कर आये हैं कि उन की यह मान्यता एकदम भ्रात और खोखली है।
(१) हम लिख आये है कि भगवान महावीर का पितां सिद्धार्थ एक स्वतंत्र समृद्धिशाली राजा था। उसने भगवान का जन्ममहोत्सव बेड आडम्बर और ठाठ-बाठ में मनाया था. उस समय अपने बन्दीखानों (जेलों) में कैदियों को मक्त कर (छोड़) दिया था। उसके राजकोष (खजाने) से भगवान महावीर ने दीक्षा लेने से पहले पुरे एक वर्ष तक तीन अरब अय्यासी करोड अम्मी लाख (३८८०००००००) सौनैयों का वर्षीदान दिया था। सिद्धार्थ के पास बहुत बड़ी