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बन्नपद में प्रतिपादित तस्वमीमांसा १ १ मारती बीच
अपोलोक में निवास करनेवाले जीव नारकी कहे जाते हैं। अपोलोक में सात नरक-ममियां है जिनका कि ग्रन्थ में निर्देश किया गया है। इनकी अधिकतम मामु ऊपर से नीचे के नरकों में क्रमश १ सागर ३ सागर ७ सागर १ सागर १७ सागर २२ सागर और ३३ सागर है । निम्नतम आयु प्रथम नरक की १ हजार वर्ष तथा अन्य नरकों में पूर्व २ के नरकों की उत्कृष्ट आयु ही आगे २ के नरकों की निम्नतम आयु है।
एकेन्द्रिय से लेकर पार इन्द्रियवाले जीव तथा पंच इन्द्रियों में पशु-पक्षी आदि तियञ्च कहलाते है । तियञ्च अविसमूच्छिम और गर्भक भेव से दो प्रकार के है। दोनों के पुन जल स्थल और आकाश में चलने की शक्ति के भेद से तीन भेव किये गये है। (क) जलपर नियंत्र
जल में चलने फिरने के कारण इन्हें पावर कहते है। ग्रन्थ में इनके पांच भेद बताये गये है।
स्थल ( भमि ) में चलने के कारण इन्हें स्थाचर कहते है। इनकी मुख्य दो
१ नेरइया सतविहा सत्तहापरिकित्तिया ॥
उत्तराध्ययनसून ३६३१५६ १५७ । २ वही ३६।१६ -१६६ । ३ पचिन्दिय तिरिक्खायो दुविहा ते नियाहिया । सम्मच्छि मतिरिक्खाओ गम्भवक्कात्तया सहा ॥
वही ३६.१७ । ४ दुविहावि ते भवे विविहा जलयरा यलयरा ठहा । खहयरा य बोरम्बा तेखि भेए सणेह मे ॥
वही ३६४१७१। ५ मच्छा य कच्छमा य गाहा य मगरा व्हा। सुसुमारा य बोढव्या पंचहा बलयराहिया ।।
वही ३६११७२।