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५८ बौख तथा मनवम
की तरह इसके भी चार भेद है। उनम से बादर पर्याप्त अग्नि अनेक प्रकार से वणन की गयी है। अग्निकाय के अनेक भेद बताय गये है। ५ वायुकाधिक जीव
ऐसे जीव जिनका शरीर ही वायु ह वायु से पथक नही हो सकते । वायुकाय के भी चार भेद है। बादर पर्याप्त वायु के पाँच भद है।
इस तरह सक्षप से बादर ( स्थल) एकेन्द्रिय स्थावर जीवो का विभाजन अन्य में किया गया है । इनकी आयु ( भवस्थिति ) कम से कम अन्तमहूतं एक समय से लेकर ४८ मिनट तक की समय ह तथा अधिक से अधिक पथिवीकायिक की २२ हजार वर्ष अप्काय की ७ हजार वष वनस्पतिकाय की १ हजार वष अग्निकाय ( तेजर काय ) की तीन दिन रात और वायुकाय की तीन हजार वर्ष की है। इस आयु के पूर्ण होने के बाद ये जीव नियम से एक शरीर छोडकर दूसरा शरीर धारण कर लेते है।
अस जीव दो द्रियो से लेकर पांच इद्रियोवाले जीव त्रस कहलाते हैं । त्रस जीवो के पार भेद है।
१ दविहा तेउजीवा उ सुहमा बायरा तहा।
पज्ज तमपज्जत्ता एवमेए दहा पुणो ॥ उत्तराध्ययनसूत्र ३६।१ ८। २ बायरा जेउ पजन्ता गगहा ते वियाहिया ।
इगाले मुम्मुर अग्गी अच्चि जाला तहव य ॥ उक्का विजय बोडव्वाठोगहा एवमायओ। एग विहमणोणत्ता सहुमा ते वियाहिया ।।
वही ३६।१ ९११ । ३ दुविहा पाउजीवा उ सुहमा बायग तहा । पज-तमपज्जन्ता एवमए दुहा पुणो ॥
__ वही ३६।११७ । ४ बायराजे उ पज्जन्ता पचहा त पकित्तिया ।
उक्कतिग्या-मण्डलिया षण गुजा सुदवायाय ।। सवटठगवाते य उणेगविहा एवमायो ।
वहो ३६।११८ ११९ । ५ वही ३६६८ तथा देखिए वही ३६१८८ १ २ ११३ १२२ । ६ पोराला तसा जे उचउहा ते पकित्तिया । बेइन्दिय-तइन्दिय-वउरो-पचिन्दिया चेव ॥
वही ३६४१२६।