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________________ ५६ : पोल तथा जनधर्म प्रस का भेद लिया गया है। इससे स्पष्ट है कि एकेद्रिय-सम्बधी स्थावर के पांच भेद ही उपयुक्त है जो निम्न है१ पृथ्वीकायिक जीव जिनका पृथ्वी ही शरीर है उ है पथ्वीकायिक जीव कहते हैं। इनके दो भेद है-सूक्ष्म और बादर (स्थल)। सूक्ष्म और बादर के भी दो भेद है-पर्याप्त और अपर्याप्त । बादर पर्याप्त के प्रथमत दो भद है-सुकोमल और कठिन । पुन सुकोमल पृथ्वी के ७ और कठिन पृथ्वी के ३६ भद बताये गये हैं। मृदु पथ्वी के ७ प्रकार हैं । इसी प्रकार कठिन पथ्वी के ३६ भेद बताय गये है। २ अकायिक जीव ऐसे जीव जिनका शरीर ही जल है अकायिक कहे जाते है। अन्य में इनके १ उत्तराध्ययनसूत्र २६३३ ३१ । २ दुविहा पुढवी जीवा उ सुहमा बायरा तहा । पज्ज-तमपज्जत्ता एवमेए दुहा पुणो ।। वही ३६७ । ३ बायरा जे त पज्जत्ता दुविहाते वियाहिया । सण्हा खरा य बोद्धव्वा सण्हा सत्त विहातहि ॥ वही ३६७१ । ४ किव्हा नीला य रुहिरा य हालिददा सुक्किला तहा। पण्ड-पणगमटिया खरा छत्तीसई विहा । वही ३६७२। खरा तीसईविहा ॥ पुढवी य सक्करा बालया य उवले सिक्ता य लोणसे । अय-तम्ब-तउय-सीसगरुप्प-सुवण्णे यवेइरेय ।। चन्दण-गेल्य-हसगन्मपुलए सोगन्धिए य बोद्धत्वे । चन्दप्पह-वेरुलिए जलकन्ते सूरकन्ते य ॥ वही ३६१७२-७६ ।
SR No.010081
Book TitleBauddh tatha Jain Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendranath Sinh
PublisherVishwavidyalaya Prakashan Varanasi
Publication Year1990
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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