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________________ युगावतारी श्री बाबू देवकुमार [ले-श्रीयुत बा० अजित प्रसाद एम० ए०, एल-एल० बी०, लखनऊ ] परम पूज्य श्रद्धेय बाबू देवकुमारजी युगावतारी पुरुष थे, वह दिव्य रूप थे; कुमार बल्कि राजकुमार तो थे ही। प्रचुर सम्पत्ति के स्वामी होते हुए भी धन से अनासक्त थे। वह अपनी पैतृक सम्पत्ति को धर्मार्थ धरोहर, अमानत समझते थे और अपने को उस सम्पत्ति का अमानतदार, मुनीम, खजानची खयाल करते थे। ___ उनका रहन-सहन सादगी का था. पर शरीर की कान्ति दिव्य थी। ऊँचा ललाट, चौड़ा वक्षस्थल, लम्बी भुजाएँ प्रत्येक व्यक्ति का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर लेती थीं। शरीर उनका दास था, उसे धर्मसाधन का निमित्त मानते थे। यह इन्द्रिय संयम का पालन करते थे। अपने ऊपर पूरा नियन्त्रण करना और वासनाओं से विरक्त रहना कुमार का नैसर्गिक स्वभाव था। मैंने कुमार का साहचर्य बहुत दिनों तक किया है। उनके गुण और स्वभाव की अमिट छाप आज भी मेरे हृदय पटल पर अंकित है। इनकी कार्य प्रणाली विचित्र थी। कठिन से कठिन कार्यों को भी बड़ी आसानी से कर डालते थे। इनकी वाणी में जादू था, श्रोता मन्त्रमुग्ध होकर इनका भाषण सुनते रहते थे। जिस बात को यह कहते थे, उसे कर दिखाना तथा उसकी पूर्ति के लिये प्राणपण से लग जाना इनका स्वभाव था। कहना कम और कर दिखाना ज्यादा, सिद्धान्त का अक्षरशः पालन करते थे। समाज की हिसचिन्ता अहर्निश किया करते थे। तन, मन, धन तीनों द्वारा जैन समाज में शिक्षा-प्रचार करने, कुरीतियों का निवारण करने तथा समाज को उन्नति के शिखर पर पहुंचाने में कुमार साहब ने अटूट श्रम किया है। आपने भारतवर्ष के समस्त जैन-तीर्थों की यात्रा की; प्रत्येक स्थान की त्रुटियों का अवलोकन किया और शक्ति के अनुसार प्रचुर दान देकर सुव्यवस्था भी की। आप उन दानियों में नहीं थे, जो केवल अपने दान का ढिंढोरा पीटते हैं और दान के बदले में ख्याति प्राप्त करते हैं। आप काम करना जानते थे, नाम से सदा दूर रहे। जीवन के अन्तिम क्षण तक परोपकार करने में लगे रहे। ___ लक्ष्मीपुत्र होने के साथ कुमार साहब पर सरस्वती की असीम कृपा थी। जितना मच्छा आप भाषण देते थे, उतना ही अच्छा आप लिखते भी थे। आपके इन गुणों से मुग्ध होकर ही आपको महासभा के मुखपत्र जैन गजट का सम्पादक निर्वाचित
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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