SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 46
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ किरण १] अनिन्दनीय का अभिनन्दन ! इन रत्नों में ही एक रत्नथे देवकुमार सुमन सच्चे, जिनके जीवन से ले सकते, शिक्षोसाह प्रल्हड़ बच्चे। उनकी स्मृति भी अाज हमें, देता उनका सिद्धान्त-भवन' इस शान भवन के निर्माता, थे देव तुल्य वे ही सज्जन । उनके 'सिद्धान्त-भवन' से है, 'भास्कर' की किरण सदा श्राती; जो जन-जन के अन्त में है, सत् शान उजाला भर जाती। उनके सिद्धान्तों का 'भास्कर'निकले युग-युग तक भासमान, जिसके प्रकाश से मुखरित हो, सम्पूर्ण धरा और श्रासमान । अभिनन्दनीय का अभिनंदन, करता, करना चाहिए सत्य स्मारक सौम्य रहेगा ही, 'सिद्धान्त-भवन है श्रमर कृत्य ।
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy