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भास्कर
पेश करने के लिये पत्रिका एक सुगम साधन थी । जैन हितैषिणी संस्थाओं के हिसाब-किताब तथा अन्य वार्षिक विवरण समय समय पर प्रकाशित होते रहते थे, जिससे प्रत्येक जैन भाई अपनी जातीय गतिविधि से पूर्ण परिचित रहता था। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक स्वार्थ के प्रमुख समाचार भी प्रकाशित होते रहते थे । यहाँ मैं दो एक ऐसे समाचारों के उद्धृत करने का लोभ संवरण नहीं कर सकता
सिगनर मैरकोनी ने रेप मटन खबरें श्रा जा चुकी हैं।
बेतार का तार
और कार्नवल के बीच में बेतार का तार लगाया है, कुछ इनमें एक तार अर्ल मिराटों ने बादशाह एडवर्ड को दिया था । हिन्दी महाराजा के घर
राज राजेश्वर सप्तम एडवर्ड हिन्दी भाषा सीख रहे हैं- उनकी एक बहन ने हिन्दी में
योग्यता हासिल की है।
'जैन गजट' का युग राष्ट्रीय नवचेतना का युग था । स्वदेशी आन्दोलन जोर पकड़ रहा था । राष्ट्रभाषा का प्रश्न भी छिड़ चुका था । इसलिए राष्ट्रीय भाव को पुष्ट करने के लिए भी उत्तमोत्तम रचनाएँ प्रकाशित होती थीं। दो एक उदाहरण देखें
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[ एक हिन्दी प्रेमी जयपुर नरेश से हिन्दी - प्रचार के लिए निवेदन करता है ]
कवित्त
जैपुर नरेश माधवेश भूपति सों मुकुलित कर कमल यह अर्जी हमारी है । अभय दान दीजै शरण हिन्दी जवान लीजै प्रभु हिन्दुमत धर्म कर्म यही रखवारी है ॥ हिन्दी पढकरे रहे संपत अन्य भाषी चहै राज सभा आदर बिन होत यह ख्वारी है ॥ हिन्दू पति तोय जान भानुकुल शेषर मान हिन्दी सन्मान तु च करुणा तिहारी है ॥
स्वदेशी वस्तु प्रचार पर एक लावनी का कुछ अंश देखिये
भाग १८
देशोन्नति किस प्रकार होवे जब इस पर किया गया विचार । निश्चय हुआ बड़ा जरिया है देशी चीजों का प्रचार || मुफलिस और तंग दस्तों को खुशहाल बनाना चाहते हो । बड़े दृष्ट रास्ते को छोड़ सतमार्ग चलाना चाहते हो । तो करलो यह अहद देश की चीज खरीदेंगे हरबार । निश्चय हुआ बड़ा जरिया है देशी चीजों का प्रचार ॥