SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 418
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भाग १५ श्रीजिनाय नमः 1 मिवान्त मासार जैनपुरातत्व और इतिहास विषयक पाण्मासिक पत्र जुलाई १९४८ | श्रावण, वीर नि० सं० २४७४ किरण : nara नरेश रविर्मा और उनका एक शिलालेख कदम्ब [ ले० श्रीयुत बा० कामता प्रसाद जैन डी० ए०एस० ० ० ० वीगंज ] कदम्बवंश के राजा लोग कर्णाटक देश के का तामिल वासी थे । उनका कुल वृत 'कदम्ब' था। उसके कारण वह कदम्बनाये थे । तामिल साहित्य में उल्लेख कोगाकानम् देश के 'नन' नाग राज्याधिकारी के रूप में हुआ है। ग्रन्थकार 'कडम्बु' नाम से भी उनका उल्लेख करते हैं। इनकी तीय वैजयन्ती थी । श्री जिनसेनाचार्य जाने हरिवंशके १७ में बिना है कि हरिवंश में राजा ऐलेय प्रसिद्ध हुए । उनके वंशज चरम नृप ने बस को मा था। कदम्बों का राज्यशासन वर्तमान मैसूर स्टेट के शिमोगा और चिलदुर्ग जिलों एवं उत्तर कनारा, धारवाड़ तथा बेलगांव जिलों पर था। प्रारंभ में कदम्य वंश के राजा वैदिकर्मानुयायी थे, परन्तु उपरान्त वे जैनधर्म के श्रद्वालु हुए थे । इन्होंने सन् २५० ई० से ६०० ई० तक राज्य किया था । वनवासी के इन कदम्बवंशी राजाओं में रविवमी एक प्रसिद्ध नरेश थे । इनके पिता मृगेश वर्मा का स्वर्गवास इनके बाल्यकाल में हो गया था । श्रतएव इनके चाचा मानधातावर्मा ने राजकाज को संभाला था । युवा होकर रविवर्मा ने राज्यवार संभाला था और पूरी अर्द्ध शताब्दि तक (४५०-५०० ई०) शानदार शासन किया था । वनवासी के कदम्ब राजाओं में वही अन्तिम प्रभावशाली शासक थे । उन्होंने कई संग्राम लड़कर अपने राज्य को समृद्धिशाली बनाया था। उनके चाचा विष्णुवर्मा ने विद्रोह खड़ा मिला था, किन्तु रविवर्मा ने बड़ी सफलता से उसका शासन किया था । विद्रोही नष्ट हुए ચે 1 शासन
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy