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________________ [ भाग १७ "But the Jain holy men undoubtedly gave Akbar prolonged instruction for years, which-largely influenced his actions and they secured his assent to their doctrines so far that he was reputed to have been converted to Jainism." अर्थात- जैन साधुओं ने वर्षों तक अकबर को जैन धर्म का उपदेश दिया तथा उनके उपदेशों का अकबर के कार्यों पर बड़ा भारी प्रभाव पड़ा। उन्होंने अपने सिद्धान्त यहाँ तक मनवा लिये थे कि लोग सम्राट को समझने लगे थे। लोगों को यह समझ केवल अनुमान से ही नहीं थी, किन्तु उसमें वास्तविकता भी थी। यात्रियों को भी अकबर के व्यवहारों से यह निश्चय हो गया था कि सिद्धान्तों का अनुयायी था । हिन्दी विश्वकोश में बताया गया है कि "जीवसा अकबर को प्रिय न थी । अधिकतर मांस न खाया करते थे और गोमांस को छूते भी नहीं थे। उनके मत से गोमांस खाद्य पदार्थ था। एक बार उन्होंने चित्त के आवेग में कहा था, "क्या करूँ, मेरा शरीर अधिक बड़ा नहीं है। यदि मेरा शरीर बड़ा होता तो इस मांस पिड़ रूपी देह को त्याग देता, जिसमें जगत के जीव सुख से भोजन करते । प्राणी हिंसा फिर देखने में न आती ।" विवाह के सम्बन्ध में अकबर ने कहा था - "यदि इस समय के समान ही मेरी चित्तवृत्ति पहले मां होती तो शायद में विवाह न करता । किससे विवाह करना ? जो मुझसे अवस्था में बड़ी है, उनको माता की दृष्टि से देखता है। जिनकी अवस्था छोटी है, वे मेरी कन्या के समान है और जो समान अस्थाको त्रियों हैं, उन्हें मैं अपनी बहन जानता है" निश्चय ही जैन धर्म के संसर्ग से उत्पन्न हुए 1 अकबर के ऐसे विचार A श्री इन्द्र विद्यावाचस्पति ने अपनी मुगल साम्राज्य के पतन के कारण" नामक पुस्तक में लिखा है कि अकबर अहिंसा धर्म का पालन करता था, जिससे अनेक मौलवी उससे असंतुष्ट थे। इन्हीं मौलवियों के सहयोग सलीम अकबर के विरुद्ध हो गया था तथा सलीम को बगावत में सफलता भी ऐसे ही मुसलमानों के सहयोग से प्राप्त हुई जो अकबर की दयालुता के कारण उससे असन्तुष्ट थे 1 वास्तव में कवर के ऊपर जैन धर्म का असाधारण प्रभाव पड़ा था, इसलिए वह हिंसा, झूठा, चोरी, कुशील और परिग्रह इन पापों का त्यागी था। सदाचार उसके जीवन का प्रमुख १४६ १- जैन टीचर्स ऑफ कलर २- हिन्दी विश्वकोश भाग ११० २५ भास्कर कई विदेशी अकबर जैन
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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