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________________ भास्कर [भाग १७ प्राप्त कर दिगम्बर परम्परा के अनुसार यह विवेचन प्रस्तुत किया गया है। प्रारम्भ में विवेचन कर्ता ने तत्त्वार्थसूत्र के रचयिता के सम्बन्ध में अपना नया ऐतिहासिक अनुसन्धान उपस्थित किया। आपने सूत्रकार गृद्धपिच्छाचार्य को सिद्ध किया है तथा उमास्वाति को श्वेताम्बर तत्वार्थाधिगम भाष्य का कर्ता इनसे भिन्न व्यक्ति बताया है। प्रस्तावना छोटी होती हुए भी तथ्यपूर्ण है। श्री पं० फूल चन्द्र जी सिद्धान्त शास्त्री अध्ययनशील, सिद्धान्त के मर्मज्ञ और दार्शनिक विद्वान हैं। इस विवेचन में आपकी प्रस्त्र प्रतिभा के सर्वत्र दर्शन होते हैं। विवेचन की शैली सरल, मुबोध, रुचिवधक एवं हृदय गन्य है। पंडित जी ने इस विवेचन द्वारा एक बड़ी कमी की पूत्ति की है। जैन सिद्धान्त के समुद्र इस सर्वाङ्गपूर्ण विवेचन के प्रचार की परमावश्यकता है। प्रत्येक मन्दिर और पुस्तकालय में तो इसे रखना ही चाहिये। स्वाध्याय प्रेमियों को भी तत्त्वाथ के रहस्य को समझने में यह विवेचन अत्यधिक सहायक होगा। छपाई-सफाई, गेटप आदि उत्तम हैं। अपभ्रंश-प्रकाशः-लेखकः श्री देवेन्द्र कुमार एम० ए०, साहित्याचार्य प्रस्तावना लेखकः श्री पं० विश्वनाथ प्रसाद मिश्र; पृष्ठ संख्याः ++२:१; मूल्यः तीन रुपये। हिन्दी भाषा का निकास अपभ्रंश से हुआ है; अतः हिन्दी भाषा के अध्ययन के लिये अपभ्रंश भाषा का व्याकरण जानना आवश्यक है। श्री देवेन्द्रकुमार उदीयमान लेखक और विचारक हैं, आपकी लेखनी से प्रमूत रचना हिन्दी भाषा के अध्ययन में विशेष सहायक होगी। वर्णी ग्रन्थमाला के संचालक उपयुक्त उम्म्नर के उपयोगी प्रन्थ प्रकाशन के लिये धन्यवादा हैं। श्री रामचन्द्र शास्त्र माला के दो प्रकाशनप्रथमरति प्रकरण - रचयिता उमास्वाति; सम्पादकः श्री प्रो. गजकुमार जैन साहित्याचार्य प्रकाशकः श्री परमश्रुनप्रभावक मंडल, जौहरी बाजार बम्बई; मूल्य छः रुपये। इस प्रन्थ में २२ अधिकार हैं। इन अधिकारों में कषाय, इन्द्रिय, राग द्वेष आदि को जीतने का मार्ग बतलाया गया है। इसका विषय तत्त्वार्थसूत्र के विषय से बहुतकुछ साम्य रखता है। संसार के विषयों में लिप्त व्यक्ति के लिये विरक्ति प्रार करने में इस ग्रन्थ का स्वाध्याय परमोपयोगी होगा। इसका प्रत्येक श्लोक ललित, सरस और वैराग्य से ओत-प्रोत है। माध्यमध्य, वैराग्य, विरागता, शान्ति, उपशम, प्रशम दोष क्षय और कषाय विजय श्रादि वैराग्य के पर्यायवाची नाम हैं। जब तक व्यक्ति
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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