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________________ साहित्य-समीक्षा वों जैनग्रन्थमाला काशी के तीन प्रकाशनपश्चाध्यायी:- टीकाकारः व्या० वा. साहित्यसूरि पं० देवकीनन्दन सिद्धान्तशास्त्री; सम्पादकः श्री पं० फूनचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री; पृष्ठसंख्याः ५६ + ३३६ और मूल्य नौ रुपये। स्वर्गीय व्याख्यान वाचस्पति पं० देवकीनन्दन शास्त्री ने पश्चाध्यायी का हिन्दी अनुवाद आज से बहुत पहले किया था तथा यह ग्रन्थ शाखाकार प्रकाशित भी हुत्रा था; किन्तु प्रस्तुत संस्करण में अनेक विशेषताएँ हैं। श्री पं० फूलचन्द्र जी सिद्धान्त शास्त्री ने विशेषार्थ लिखकर इस प्रन्य की उपयोगिता में चार चाँद लगा दिये हैं। शंका, समाधानों के द्वारा ग्रन्थ का विषय बिल्कुल स्पष्ट हो गया है। ग्रन्थारम्भ में ५२ पृष्ठों को विस्तृत प्रस्तावना में ग्रन्थ के प्रतिपाद्य विषयों की आलोचना उक्त पंडित जी ने बड़ी विद्वत्ता के साथ की है। प्रन्थकर्ता के 'दरिद्र और श्रीमान् कर्म कृत है। इस विषय की समीक्षा अपने अध्ययन के आधार पर की है तथा आपके द्वारा निकाला गया निष्कर्ष बहुत कुछ अंशों में ठीक अँचता है। यद्यपि अापने कोई प्रबल शास्त्रीय प्रमाण नहीं दिया है, फिर भी निष्कर्ष बुद्धि ग्राह्य है। पंडित जी प्रस्तावना में वेदमीमान्सा करते हुए वेद के कार्य का जो निर्देश किया है, वह आपके शास्त्रीय चिन्तक का द्योतक है। जैन कम मान्यता के अधार पर आपके द्वारा निकाला गया यह परिणाम प्रत्येक विचारक को अपील करेगा। इसी प्रकार व्यवहार और निश्चय नय के सम्बन्ध में अनेक ग्रन्थों का प्रमाण देते हुए सुन्दर और प्रामाणिक निष्कर्ष निकाले हैं। निमित्त और उपादान की चर्चा की गुन्थी सुलझाने का प्रयत्न पंडित जी ने किया है। अनेक लौकिक उदाहण भी दिये हैं; परन्तु चर्चा अधूरी सी है, इसको और थोड़ा विस्तृत करने के प्रावश्यकता थी। प्रस्तावना ज्ञानवर्द्धक और पाण्डित्यपूर्ण है। वर्णी मन्थमाला ने पञ्चाध्यायी का यह सर्वाङ्ग सुन्दर संस्करण प्रस्तुत किया है। स्वाध्याय प्रेमियों को लाभ उठाना चाहिये । तस्वार्थ सूत्र (हिन्दी विवेचन)-विवेचन कर्ता : श्री पं० फूलचन्द्रजी सिद्धान्त शास्त्री; पृष्ठ संख्या : ३९४४६१; मूल्य : पाँच रुपये। तत्त्वार्थसूत्र जैन समाज के सभी फिरकों में मान्य है। इसका विस्तृत विवेचन श्वेताम्बर परम्परा के आधार पर भी पं० सुखलाल जी ने लिखा था, उसी से प्रेरणा
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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