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________________ १३० भास्कर , [भाग १७ अधिकार हैं-- अधोलोक, मध्यलोक और ऊर्च लोक । प्रथम अधिकार में २०५ श्लोक, द्वितीय में ६१६ श्लोक और तृतीय अधिकार में ४६५ श्लोक हैं। __ प्रारम्भ में ही विषय प्रारम्भ करते हुए बताया है कि आकाश के मध्य में अणु के समान असंख्यात प्रदेशी यह लोक है । इसमें छह द्रव्यों का-- जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश, काल संघात पाया जाता है। इसलिए यह लोक का मान लौकिक और लोकोत्तर दो तरह का है।। ___ लौकिक मान एक दश शत सम्र श्रादि दश गुणोत्तर है। लोकोत्तर मान चार प्रकार का है- द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव। द्रव्यमान के दो भेद हैं-- संख्योपमा, संख्यात्मक । संख्यात्मक के तीन भेद हैं-- मंख्यात, असंख्यात और अनन्त । संख्यात जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट के भेद से तीन प्रकार का है। असंख्यात और अनन्त तीन-तीन प्रकार के हैं-- परीत, युक्त, द्विगुण। इनके जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट भेद से २१ भेद होते हैं। संख्यात ज्ञान के निमित्त अनवस्था, शलाका, प्रतिशलाका और महाशलाका इस तरह इन चार कुण्डों को कल्पना कर मंग्यानयन किया है। काल प्रमाण का वर्णन बहन विस्तार से किया है। पूर्वाग, पूर्व, पांग, पवे, नवांगं, नयुनं, कुमुदागं, कुमुदं, पद्मांगं, पद्म, नलिनांगं, नलिन, कमलांग, कमलं, तुडिदांगं, तुडिदं, अडडांग, अडडं, अममांग, अमम. हाहाहह अंगं, हाहाहह, विद्युल्लता, लतांगं, लता, महालतांगं, महालता, शीघ्रप्रकंपिनं, हस्तप्रहेलिका और अचलात्मक आदि काल परिमाणों को अंकसंख्या प्रदर्शनपूर्वक बताया है। अंकसंख्या की दृष्टि से ये संख्या अत्यन्त महत्व पूर्ण है। ___ लोक के नाना प्रकार के आकार यतला कर गरिगतानगन किया है, जो कि नवीन न होते हुए भी महत्त्वपूर्ण हैं। नरकों के इन्द्रक, श्रेणीबद्ध उभय और प्रकीर्णक यिलों का आनयन गणित क्रिया के साथ बहुत ही मन्दर ढंग से किया है। लम्बाई, चौड़ाई के अतिरिक्त बिलों की स्थूलता का श्रानयन भी किया है, जो एक नवीन गणित शैली है। अधोलोक व्यावर्णन के अन्त में नेमिदेव को यशवृद्धि की आकांक्षा करते हुए वताया है। पावतीपुत्राविवंशः क्षीरोद चंद्रामलयोः यथास्य । तनामदः श्री तनपादमेनी म नेमिदेवश्विरमन्त्र जीयात् ।। मध्यलोक का वर्णन करते हुए द्वीप और समुद्रों के यलय, व्यास, सूचीव्यास, सूक्ष्मपरिधि, स्थूलपरिधि, सूक्ष्मफल, स्थूलफल आदि का गणित प्रदर्शन पूर्वक पानयन किया गया है। गणितानयन प्रक्रिया की दृष्टि से यह प्रकरण रोचक और ज्ञानवर्द्धक
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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