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________________ ११३ भास्कर ( भाग १७ उपर्युक्त सिमेंत प्रतीक वृषभ और सिंह का सम्बन्ध जैनधर्म की धार्मिक भावना से है; क्योंकि सिक्का निर्माता ने अपने प्रिय धर्म के इस युगीन प्रथम तीर्थंकर भगवान् ऋषभनाथ के चिन्ह वृषभ (सोंड) तथा अन्तिम तीर्थंकर भगवान महावीर के चिन्ह सिंह को अंकित कर आदि तीर्थकर और अन्तिम तीर्थंकर के प्रति भक्ति अभिव्यक्त की है। जैनग्रन्थों से विदित भी होता है कि यूनान, रोम, मिस्र, ब्रह्मा, श्याम, फीका, सुमात्रा, जात्रा, बोर्नियों आदि देशों में जैनधर्म का प्रचार ईस्वी सन् से कई शताब्दि पहले ही वर्तमान था । अतएव क्रीसस का हिंसा धर्म का पालक होना असंभव नहीं है । रसन ने अपने 'भारतीय सिक्के' नामक ग्रन्थ और रायल एशियाटिक सोसाइटी की पत्रिका के अनेक निबन्धों में भारतीय यूनानी राजाओं के सिक्कों का विवरण उपस्थित किया है । इस विवरण से प्रतीत होता है कि यूनानी अनेक राजाओं पर जैनधर्म का पूर्ण प्रभाव था। इसी कारण उन्होंने अपने सिक्कों में जैन प्रतीकों को स्थान दिया । अपि के इस प्रकार के चाँदी के सिक्के मिले हैं, जो सबके सब गोलाकार हैं । इनमें कई सिक्कों पर जैन प्रतीक नहीं हैं । किन्तु इसके ताँबे के सात प्रकार के सिक्कों में से दूसरे प्रकार के सिक्कों पर एक ओर खड़े हुए हरक्यूलस को मृत्ति, दूसरी और अश्व की मूर्ति है। तीसरे प्रकार के सिक्कों पर अश्व के बदले में वृषभ की मूर्ति है, चौथे प्रकार के सिक्कों पर वृपभ के स्थान पर हाथी की मृत्ति है । पाँचवें प्रकार के सिक्कों पर एक ओर हाथी की मूर्ति और उसरी ओर वृषभ की मूर्ति है। The earliest coinage, of the ancient world would appear chiefly to have been of silver and electrum; the latter metal being confined to Asia Minar, and the former to Greece and India. Some of the Lydian Staters of pale gold may be as old as Gyges. Ibid, P. 19 I Notes on Indian Coins and Seals, Journal of the Royal Asiatic Scciety, 1900-5, Coins of the Greco- Indian Sovereigns, Agathocleia and Strato, Soter and Strato II Philopator. Numismtic Notes and Novelties, Journal of the Asiatic Society of Bengal - Old series, 1, 1890 2 Catalogue of Coins in the Punjab Museum, Lahore Vol. 1, P. 139, Nos 361-62 Connigham's Coins of Ancient India Vol. 1, P. 50, इसकी जैनधर्म के प्रति श्रद्धा थी— देखें संक्षित जैन इतिहास भाग ३ खंड २ पृ० १३
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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