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________________ स्वर्गीय बाबू देवकुमार : उदार स्वभाव [ ले० श्रीयुत् पं० सकलनारायण शर्मा, महामहोपाध्याय ] बाबू देवकुमार मेरे बचपन के साथी थे। इनकी सम्पत्ति कोर्ट ऑफ वार्डस् में थी । उस समय इनके रहने का मकान बहुत बढ़िया नहीं था । इन्हें मितव्ययिता का अभ्यास था । बाबू देवकुमार और बाबू धर्मकुमार ये दोनों भाई आपस में अत्यन्त स्नेह से रहते थे । देवकुमारजो अपने छोटे भाई धर्मकुमार को योग्य बनाना चाहते थे । संस्कृत और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं का उनको पूरा ज्ञान था । देवकुमारजी ने बाबू धर्मकुमारजी को पढ़ाने के लिये अधिक बेतन पर प्रोफेसर और अध्यापकों को नियुक्त किया था। धर्मकुमार प्रतिभा, रूप और गुण में द्वितीय थे । हमें एक बचपन की घटना याद आ रही है । बाबू रामकृष्ण दास के अनाइट वाले उद्यान में बाबू जयबहादुर की बालमण्डली जब-तब क्रीड़ा और भोज के लिये चली जाया करती थी। इस बालमण्डली में बाबू देवकुमार भी शामिल रहते थे । भोज का प्रबन्ध सभी प्रमुख बाल लीडरों की ओर से होता था । बाबू देवकुमार इस भोज प्रणाली के विरुद्ध थे, अतः उनकी ओर से भोज का प्रबन्ध नहीं हुआ । एक दिन बालमण्डली ने तय किया कि आज गुप्तरूप से भोज का प्रबन्ध बाबू देवकुमार की ओर से किया जाय और निमन्त्रण भी उन्हीं की ओर से बाँटा जाय। फलतः सभी साथियों में बाबू देवकुमार के नाम से निमन्त्रण बाँटा गया और बगीचे में दो हलवाइयों को ले जाकर भोज के लिये सभी श्रेष्ठ खाद्य पदार्थ तैयार कराये गये । बाबू देवकुमारजी को भी भोज का निमन्त्रण दिया गया। देवात् उन्होंने निमन्त्रण को पढ़ा नहीं और वे बाबू जयबहादुर के साथ उद्यान में भोज में पधारे । भोज समाप्त होने पर उनके सामने हलवाई का बिल पेश किया गया और सारी घटना बतला दी गयी। बाबू देवकुमार इस घटना से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने तुरत अपनी कोठी से हलवाई का बिल चुका देने का आर्डर दे दिया। इस प्रकार बालमण्डली में एक खासी चुलहबाजी रही । यह बालमण्डली और नाना प्रकार के मनोविनोद और आमोद-प्रमोदों द्वारा अपना मनोरंजन, ज्ञानसंवर्द्धन एवं बौद्धिक विकास किया करती थी । सामयिक विषयों पर चर्चा करना, देवनागरी लिपि और हिन्दी भाषा के अभ्युत्थान के लिये प्रोग्राम तैयार करना तथा भारतीय संस्कृति के उन्नयन के लिये प्रयास करना भी इस बालमण्डली का लक्ष्य था । केवल भोज करना
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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