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________________ श्री जैन सिद्धान्त- भवन, आरा का वार्षिक विवरण [ ता० १-६-४ से २१-५-५० ] जैन समाज की प्रमुख साहित्यिक संस्थाओं में श्री जैन सिद्धान्त-भवन आरा का नाम serer हैं। यह भवन ३६ वर्षों से जैन साहित्य ओर जैनधर्म को सेवा करता चला आरहा है । वीर संवत् २४७५ ज्येष्ठ शुक्ला पचमी से वीर संवत् २४७६ ज्येष्ठ शुक्ला चतुर्थी तक भवन के सामान्य दर्शक रजिष्टर में ५१३३ व्यक्तियों ने हस्ताक्षर किये हैं। इधर जब से भारत स्वतन्त्र हुआ है, समाचार-पत्र पढ़नेवालों की संख्या बढ़ती जारही है। नगर के मध्य में भवन के रहने से पाठकों को भवन में समाचार-पत्र पढ़ने का अधिक अवसर मिलता है । समयानुसार भवन में दैनिक पत्र अधिक-से-अधिक संख्या में मगाये जारहे हैं । कुछ महानुभाव समाचार-पत्र पढ़कर बिना हस्ताक्षर किये ही चल देते हैं। इनकी संख्या भी हस्ताक्षर करनेवालों से कहीं अधिक है । विशिष्ट दर्शकों में श्रीमान् पूज्य भगत प्यारेलाल जी, श्रीमान् बाबू दुर्गाप्रसाद जी श्रावगी कलकत्ता, श्री हरिश्चन्द्र मोदी गीरीडीह, श्री भगवानदास केसरी मुंगेर, श्रीजीव न्यायतीर्थ एम० ए०, प्रोफेसर कलकत्ता विश्वविद्यालय, श्री डाक्टर राजवली पाण्डेय एम० ए०, डी० लिटर प्रोफेसर हिन्दू विश्वविद्यालय बनारस, श्री० पं० फूलचन्द्र जी सिद्धान्त शास्त्री बनारस, श्री० जगन्नाथ मिश्र, प्रोफेसर पटना विश्वविद्यालय, आदि गणमान्य व्यक्तियों के नाम उल्लेखनीय हैं। इन्होंने अपनी शुभ सम्मतियों द्वारा भवन की सुव्यवस्था और उसके संग्रह की मुक्तकंठ से प्रशंसा की है। श्री० प्रो० श्रीजीव ने अपनी शुभ सम्मति में लिखा है कि "हस्तलिखित पुस्तकों का एकत्र इतना समवाय मुझे श्रन्यत्र देखने को नहीं मिला। भारतीय संस्कृति और साहित्य के अन्वेषण के लिये यहाँ पर्याप्त सामग्री संकलित है । स्वतन्त्र देश के लिये इस प्रकार के समृद्धिशाली पुस्तकालय में आधुनिक साहित्य का भी यथेष्ट संग्रह होता रहा तो यह पुस्तकालय देश के मणी पुस्तकालयों में स्थान प्राप्त करेगा । मैने यहाँ दो सप्ताह तक रहकर संस्कृत साहित्य का अन्वेषण किया तथा चित्रालंकार पर मुझे यहाँ पर्याप्त सामग्री मिली” । 1 प्रकाशन - भवन के इस विभाग में जैन-सिद्धान्त-भास्कर तथा जैन एन्टीक्वेरी - का प्रकाशन पूर्ववत् चालू रहा । भास्कर उत्तरोत्तर लोकप्रिय होता चला जारहा है । इसकी मूल्यवान् ठोस सामग्री की अनेक अन्वेषक विद्वानों ने प्रशंसा की है तथा
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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