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________________ किरण १j साहित्य-समीक्षा कल्याण ( हिन्दू-संस्कृति-अंक)- सम्पादकः हनुमानप्रसाद पोदार, चिम्मनलाल गोस्वामी, एम० ए०, शास्त्रो; प्रकाशकः घनश्यामदास जालान, गीता प्रेस, गोरखपुर; पृष्ठ संख्याः ६०४; मूल्य : ६॥) रुपये। कल्याण अपने धार्मिक विशेषाङ्कों के लिये प्रसिद्ध है। प्रतिवर्ष इसका विशेषांक किसी प्रमुख विषय पर निकलता है। इस वर्ष के हिन्दू संस्कृति अंक में विभिन्न सांस्कृतिक विषयों पर ३४४ निबन्ध, ६ कविताएँ, २ सुनहरी चित्र, १७ तिरंगे चित्र ओर २२६ इकरंगे चित्र हैं। सुपाठ्य सामग्री का चयन सुन्दर किया गया है, एकत्र आर्य संस्कृति के सम्बन्ध में इतना मैटर अन्यत्र मिलना दुष्कर है। प्रायः सभी निबन्ध अधिकारी विद्वानों के द्वारा लिखे गये हैं। जैनाम्नाय के प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभदेव और अन्तिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की जो संक्षिप्त जीवन गाथाएँ दी गयी हैं, वे भ्रामक और असत्य हैं। संपादकों ने इस सम्बन्ध में अपनी कुशलता का परिचय नहीं दिया। स्वामी श्री करपात्री जी का 'संस्कृति विमर्श', योगिराज अरविन्द का धर्म की सीमाएँ', श्री विनोवाजी भावे का हिन्दू कौन',विहार के राज्यपाल श्री माधव श्री हरि प्रणेका 'हिन्दू संस्कृति की महत्ता', उत्तरप्रदेश के शिक्षामन्त्री श्री सम्पूर्णानन्द जी का 'हिन्दू-संस्कृति का मूलाधार' श्राद निबन्ध विशेष पठनीय हैं। सम्पादक द्वय का श्रम श्लाघनीय है, छपाई-सफाई अत्यन्त सुन्दर है। प्रत्येक संस्कृति प्रेमी को कल्याण का ग्राहक बनकर उसकी पठनीय सामग्री से लाभ उठाना चाहिये। -नेमिचन्द्र शास्त्री, ज्योतिषाचार्य केवलज्ञान प्रश्न चूडामणि ( भाषानुवाद और विस्तृत विवेचन सहित )सम्पादकः पं० नेमिचन्द्र जैन, ज्योतिषाचार्य, न्यायतीर्थ पारा; प्रकाशकः भारतीय ज्ञानपीठ काशी; पृष्ठ संख्याः १४+४+१२८; मूल्यः चार रुपये। यह ज्योतिष विषयक ग्रन्थ है। प्रारम्भ में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष पं. रामव्यास पाण्डेय, ज्योतिषाचार्य का प्रादि वचन है। आपने इसमें प्रस्तुत ग्रन्थ के सफल सम्पादन की प्रशंसा की है। ग्रन्थमाला संपादक श्री० पं० महेन्द्रकुमार जैन न्यायानार्य के 'दो शब्द' शीर्षक में ग्रन्थमाला और ग्रन्थ का परिचय दिया है। सम्पादक की ४० पृष्ठों की भूमिका है, जिसमें आपने जैनज्योतिष, प्रन्थ का विषय, ग्रन्थकर्ता का परिचय एवं जैन प्रभ शास्त्र की अनेक ज्ञातव्य बातों पर प्रकाश डाला है। प्रन्थ के अन्त में कई उपयोगी परिशिष्ट दिये गये हैं, जिनमें जन्मपत्र बनाने, देखने की विधि, वैवाहिक गणना आदि उपयोगी बातें बतलायी गयी हैं। फलादेश करने और जानने के लिये प्रन्थ अच्छा है, सम्पादन अच्छा हुआ है, छपाई-सफाई,
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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