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________________ भास्कर [भाग १७ एवं स प्रातु वो वांछितमिह नियतं सर्वदा सूरचन्द्रो जा विश्वेशोतुनावभ सविनयनयं सोवभक्तप्रभुयं सश्रेयाः श्रेयसे षडविधुमितभगवत्स्तोत्रमिश्रस्तवेन श्री चारित्रोदयां हृदयकंज मधुकृत सूरचंद्रो वशीशः ।।१४।। इति श्रीखरतरगच्छेश श्री जिनभद्रमू रसंतानीय श्रीचारित्रोदय वाचकशिष्यमर चंद्रवाचकरचित श्रीशान्तिनाथत्रयोदशश्लोकबद्ध तवगर्भित श्री ग्रजितजिनरा जस्तवः किष्किन्धायां कृतमिदम् । उपयुक्त स्तोत्र के अन्तर्गत निम्न चिन्हित अक्षर-बाकयों को जोड़ने ने श्री शान्तिनाथ स्तवन होता है। जो यहां दिया है: श्री शान्तिनाथ स्तर विश्वसेन महीनाथं, वंशपंकजभास्कर आचिरेयं जनाधीशं वन्दे शान्तिमहं सदा ॥१॥ सुरासुरनराधीशः सेवितं सुमनः प्रभु स्वर्णवणसमक्षेत्रं साम्य सदृश सागरम् ।।२।। कर्मारिवारसंहारकारिणं करुणास्पदं मिथ्यात्वद्रमभंगेभ सन्निभं भविकानुतः ॥३।। युग्मम् मोहाद्रिशिखरच्छेद बनभोगिवंबन्धुरं नैश्वसेनिर्जिनो नंद्याच्छोशान्तिसमतालयः ।।५।। पापायासरः सर्वज्ञानभानुदिवाकरः अचिराख्योदरोदारं दरीदरहरीश्वरः ।।५।। मंदारमल्लिका जातिग्योः पूजितक्रमः देवाधिपैः सदा सेव्याद्विश्वसेननृपाङ्गजं ॥६॥ यस्य ध्यान्तलमे यांति रोगास्ताादिवोरगाः सोऽचिरा नंदनः पातु युष्मान भवभयोघतः ।। श्रेयः केलिनिवासाभो गुण कमललोचनः सञ्चन्द्रचन्द्रिकाचंद्र समकात्तिं करोतु शं ।।८।। विशालनयनो मारमारको मुनिपुगवः शान्तिनाथो जिनो जीयाचिरंज गजनाधिपः ।।६।। शीघ्रं शमय हे देव पापं भुवि तनुभृतां निस्तारयभवांभोधेः स्फूर्जसम्पत्तिकारका ॥१०॥
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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