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________________ श्रद्धाञ्जलियाँ युग प्रवर्तक इस युग में जैन समाज का निर्माण जिन व्यक्तियों द्वारा हुआ है, उनमें श्री बाबू देवकुमारजी का स्थान सर्वोच्च है। आपने तन-मन-धन से समाज का उत्कर्ष किया। आपका तेजस्वी व्यक्तित्व, परोपकारी स्वभाव और सेवा की लग्न आज भी समाज की प्रगति में सहायक हैं। आप उन गिने चुने व्यक्तियों में थे, जिनपर कोई भी देश या सामाज गर्व कर सकता है। रईस-अमीर होते हुए भी आपने जनता की समस्त श्रावश्यक सेवाओं में योगदान दिया। विद्याप्रचार, शास्त्रोद्धार, तीर्थोद्धार एवं जैन समाज के संगठन में आपने अद्भत कार्य किया था । धनी-मानी होने के साथ-साथ श्राा उच्चकोटि के विद्याव्यसनी और शास्त्रज्ञ विद्वान थे। वस्तुतः आपकी सेवाएँ अकथनीय और अनुकरणीय हैं। ___ बाबू देवकुमार मेरे घनिष्ठ प्रिय मित्र थे। जैन समाज के इस महान नेता की स्मृति से ही मम्नक श्रद्धावनत हो जाता है। अन्तःकरण के भावकंज मुकुलित हो आपके पादपद्मों में पहुँचने को लालायत हो उठते हैं। आपके आदर्श जीवन के सद्गुण मानवमात्र को प्रेरणा और स्फूर्ति देते हैं। महासभा के कर्णधार बनकर आपने बहुत समय तक जैन जाति के पोत का संचालन किया। जैन गजट के संपादक रहकर समाज को अपने विचारों का परिश्य दिया और गिरी हुई दशा को सुधारा। जिस अवस्था में साधारण मानव विषय की ओर अन्धा बनकर दोड़ता है, आपने उसी युवावस्था में मात्र २६ वर्ष की आयुमें अखंड ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण किया, जिसका जीवन पर्यन्त पालन करने में रत रहे। आपकी दूरदर्शिता, देव-शास्त्र-गुरु की अनन्यभक्ति, दानशीलता एवं त्याग जैन समाज के लिये युग-युगान्तर तक शुभ मार्ग दिग्व लाते रहेंगे। जैन संस्कृति और जैनधर्म के प्रसार के लिये बाबू साहब ने अपने युग में अथक परिश्रम किया था। मैं अपने इस अद्वितीय, आदर्श नेता की पुण्यस्मृति में श्रद्धाञ्जलि अर्पित करना परम धर्म समझता हूं। मेरा विश्वास है कि स्वर्ग में भी आपकी आत्मा जैन समाज के उत्कर्ष को देखकर पाहादित हो रही होगी। (रावराजा सर सेठ) हुकमचन्द स्वरूपचन्द इन्दौर अनुकरणीय नेता "श्री देवकुमारजी मा. जैन समाज के महान सेवकों में से रहे हैं, जिन्होंने अपना जीवन समाज व धर्म के संरक्षण तथा संस्कृति के प्रचार में लगाकर समाज
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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